करनी होगी जल निकासी
बिलासपुर। थोड़ी मेहनत, सतत निगरानी और प्रजाति चयन में सावधानी। यदि इन तीनों का ध्यान रखा गया, तो बारिश के मौसम में भी भाजी फसलों का स्वाद लिया जा सकेगा। स्वाद बदलना हो, तो बेल वाली सब्जियों की भी बोनी की जा सकती है।
सब्जी बाड़ियों में पानी। हर बारिश के मौसम में सब्जी किसानों के लिए चिंता की वजह बनती रही है। ऐसी समस्या को दूर करने के लिए मेड़ों में सब्जी की खेती जैसी विधि आ चुकी है। प्रयोग के तौर पर की गई सब्जी की खेती का परिणाम बेहद सफल रहा है। इसलिए सब्जी वैज्ञानिकों ने कुछ बेहद जरूरी सुझाव दिए हैं, जो प्रतिकूल मौसम में बेहतर परिणाम देंगे।
मेड़ बनेगी सहारा
सब्जी किसानों से कहा जा रहा है कि दलहन-तिलहन की बोनी से छूटी हुई मेड़ों में दो-दो मीटर की लंबाई में क्यारी बनाएं। जल निकास की व्यवस्था करें। बोनी के उपरांत खरपतवार प्रबंधन भी करते रहें। अपेक्षित उत्पादन के लिए यह किया जाना अनिवार्य है।

भाजी फसलें सर्वोत्तम
सब्जी वैज्ञानिकों ने जो सलाह जारी की है, उसमें भाजी फसलों की चुनिंदा प्रजातियां सुझाई गई हैं। इनमें लाल, पालक, मेथी और अमारी मुख्य है। इसके अलावा अन्य में ऐसी किस्मों की बोनी करें, जिनमें जल-जमाव सहन करने की क्षमता है।
बेल वाली सब्जी फसलें
कुंदरू, करेला, लौकी, तुरई और परवल जैसी बेल वाली फसलों की बोनी करने की सलाह जारी की गई है। इसके साथ मक्का और भिंडी की बोनी भी की जा सकती है। इन फसलों की बोनी के बाद जल निकास की व्यवस्था किया जाना अनिवार्य होगा।मेड़ों में भी संभव
मेड़ों में भी संभव
बारिश के मौसम में मेड़ों में भाजी फसलें और बेल प्रजाति की सब्जियों की बोनी की जा सकती है। अपेक्षित उत्पादन के लिए जल निकास की व्यवस्था किया जाना अनिवार्य होगा।
- डॉ अमित दीक्षित, डीन, उद्यानिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, सांकरा, दुर्ग