अद्भुतः बढ़ता है शिरीष उच्च तापमान में ही
बीज और छाल खत्म करते हैं नेत्र विकार
बिलासपुर। चाहिए उच्च प्रकाश और 30 से 45 डिग्री सेल्सियस का तापमान। यह इसलिए क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में ही भरपूर ग्रोथ लेता है शिरीष। वानिकी वृक्षों की कई प्रजातियों के बीच यह नाम तेजी से आगे बढ़ रहा है क्योंकि बढ़ते तापमान में भी सफलतापूर्वक तैयार होने की क्षमता इसमें होती है।
पहले कदंब, अब शिरीष का नाम वानिकी वृक्षों के पौधरोपण में प्रमुखता के साथ जगह पा रहा है। लंबी उम्र तो होती ही है, साथ ही ऐसी भूमि में भी यह खुद को तैयार करने में सक्षम है, जहां अन्य प्रजातियां तैयार नहीं होतीं। याने यह अनुपजाऊ भूमि के लिए वरदान बनेगी। यह इसलिए क्योंकि प्रदेश में ऐसी भूमि का रकबा विशाल है।

इसलिए शिरीष अहम
जलवायु परिवर्तन के दौर में बढ़ता तापमान, नए वन तैयार करने की राह में अवरोधक माना जा रहा है। वृक्ष प्रजातियों की खोज में शिरीष इसलिए वरदान बनेगा क्योंकि यह उच्च तापमान में ही भरपूर बढ़त लेता है। हैरत यह कि शिरीष 30 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान सहन कर सकता है। दिलचस्प इसलिए क्योंकि यह प्रजाति अम्लीय, क्षारीय और लवणीय भूमि में ही तैयार होती है।

आदर्श चारा
शिरीष की पत्तियों को मवेशियों के लिए सर्वोत्तम हरा चारा माना गया है। उच्च पौष्टिक तत्व वाली पत्तियां 1 बरस में 1700 किलोग्राम हरा चारा के रूप में मवेशियों तक पहुंचने में सक्षम है। इसे उच्च गुणवत्ता वाला हरा चारा माना जा चुका है।

छाल से यह रोग दूर
छाल में मिले औषधीय तत्व के खुलासे ने नेत्र व्याधि दूर करने वाली दवाइयां उत्पादन कर रहीं इकाइयों की राह आसान कर दी है। इसके अलावा इसकी छाल और बीज से बने पाउडर को त्वचा के जलने पर राहत देने वाला भी माना गया है।

लकड़ियों से यह
शिरीष के परिपक्व पेड़ से अब कोयला भी बनाया जाने लगा है। अनुसंधान में इसे सबसे ज्यादा कैलोरी मान वाला कोयला बनाने में सक्षम पाया गया है। कृषि उपकरण पहले भी बनते रहे हैं। अब यह बढ़ता नजर आ रहा है।
औषधि का खजाना
शिरीष औषधि का खजाना है । इसका पेड़ घना होता है। छायादार वृक्षों में इसे सबसे उत्तम मनाया गया है, क्योंकि इसके नीचे रहने पर शुद्ध प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती है। इसकी छाल, फूल, बीज,जड़, पत्ते आदि हर एक का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। यह वृक्ष बहुत तेजी से बढ़ता है l बसंत ऋतु में जब पतझड़ आता है, तो इसके पत्ते गिरकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते है ।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर