सवाल, कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों से
भाटापारा। बताइए, क्यों चुप थे आप ? कार्यकर्ता ही नहीं शहर भी पूछ रहा है यह सवाल, कांग्रेस के उन प्रतिनिधियों से, जो खुद को मजबूत दावेदार बता रहें हैं।
प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया,प्रदेशअध्यक्ष मोहन मरकाम आए। कार्यकर्ताओं की बातें सुनीं। आम सहमति थी कि स्वतंत्र जिला की मांग पूरी होनी चाहिए। दिग्गजों के वायदे याद दिलाए। चुप थे प्रदेश प्रभारी। सहमति तो जताई लेकिन मजबूती के साथ जिन्हें पक्ष रखना था, उनकी चुप्पी से सवालों का उठना चालू हो चुका है कि ‘मन से एक’ कब हो सकेंगे ?

क्यों चुप थे ?
टिकट चाहने वालों की कतार है। खुद को सबसे मजबूत और सशक्त बता रहे हैं। निगम और मंडल की जिम्मेदारी संभाल रहे जनप्रतिनिधी भी दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश प्रभारी के सामने जब स्वतंत्र जिला की मांग रखी गई, तब इन सभी ने चुप्पी साध ली। सवाल यही उठने लगे हैं कि मौन रहने के पीछे कारण कौन से थे ?

मौका था लेकिन…
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया,प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के सामने स्वतंत्र जिला के लिए दावा मजबूती से रखने का बढ़िया मौका था लेकिन यह मौका गंवा दिया। जिला निर्माण संघर्ष समिति के मंच का उपयोग कर भरे मंच से भाजपा को कोसने वाले प्रतिनिधियों की चुप्पी ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर जनता के बीच वोट मांगने कैसे जा पायेंगे ?
एक नहीं अब भी
जिम्मेदारों के मौन ने यह संकेत स्पष्ट तौर पर दे दिया है कि मंच पर एक दिखने वाले वरिष्ठ नेताओं के बीच, एका अब भी नहीं है। फूट की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसका लाभ विपक्ष हमेशा से उठाता रहा है। आने वाले दिन भी ऐसे ही रहेंगे, इसमें संशय की स्थिति जरा भी नहीं है।