पल्प के आयात पर बंदिश, वेस्ट पेपर दोगुना महंगा

बिलासपुर। रॉ-मटेरियल की कीमत में रिकॉर्ड तेजी के बाद कागज के दाम आसमान पर जा पहुंचे हैं। इसके असर से कॉपी और किताब की कीमतों में 20 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। रही- सही कसर, बढ़ती डिमांड ने पूरी कर दी है क्योंकि स्कूल -कॉलेज पूरी क्षमता से संचालन में आ गए हैं।

1 अप्रैल से प्रदेश की स्कूल और कॉलेजों में शैक्षणिक गतिविधियां पूरी क्षमता से चालू हो जाएंगी। यह जरूरी सूचना छात्रों और अभिभावकों तक पहुंचने के बाद कॉपी-किताब की दुकानों में डिमांड का दबाव बढ़ने लगा है। कच्चे माल की कमी से जूझती कागज उत्पादन इकाईयों के लिए यह ऐसा दोहरा संकट जैसा है, उससे पार पाने के लिए कोई उपाय फिलहाल नहीं है, लिहाजा कीमतों में वृद्धि का फैसला मजबूरी में लिया जा रहा है। इस फैसले के बाद कॉपी और किताबों की कीमत 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। जिसका सीधा असर पालकों पर अतिरिक्त बोझ के रूप में पड़ चुका है।

पल्प आयात बंद

देश में पल्प की मांग का लगभग 70 फ़ीसदी हिस्सा आयातित पल्प के नाम है लेकिन रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग से आयात पर बंदिश जैसी स्थिति बन चुकी है। इससे देश की कागज उत्पादन इकाइयां संकट में आ चुकीं हैं। वैसे अपने देश में भी पल्प प्रोडक्शन होता है लेकिन ब्राजील, इंडोनेशिया, चीन और बांग्लादेश पर निर्भरता ज्यादा है क्योंकि गुणवत्ता के सभी मानक को इन देशों का पल्प सफलता के साथ पूरी करता है।

महंगा हुआ रॉ-मटेरियल

कागज उत्पादन के लिए जरूरी दूसरी सामग्रियों में वेस्ट पेपर और केमिकल के साथ कोयला की कीमत भी रोज बढ़त ले रही है। आयातित पल्प की उपलब्धता कठिन होने से वेस्ट पेपर डिमांड के दबाव के बीच किलो पीछे 15 रुपए तेज हो चुका है। इसकी वजह से कागज मिलें आर्थिक संकट का सामना कर रहीं हैं। इसलिए भी कॉपी-किताब की कीमतें बढ़ रहीं हैं।

निकली डिमांड स्कूलों की

महामारी के दौर की विदाई के बाद स्कूल और कॉलेज पूरी क्षमता के साथ संचालित किए जाने लगे हैं। इसलिए कॉपी- किताब की दुकानों में मांग पहुंचने लगी है, लेकिन उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के बाद इसकी खरीदी, पालकों को ऊंची कीमत पर करनी पड़ रही है। इधर संकट से निकलने के प्रयासों में लगी कॉपी उत्पादन करने वाली यूनिटों ने कीमत तो नहीं बढ़ाई है, लेकिन पन्नों की संख्या जरूर कम कर दी है । बढ़ी हुई कीमत पर खरीदी को लेकर प्रतिसाद ना मिलता देख दूसरी कंपनियां भी ऐसा करने को तैयार हैं।

यह भी दिखा रहे गर्मी

कागज के साथ पेन-पेंसिल, कार्बन, लंच बॉक्स और पानी की बोतल की कीमत बढ़ चुकी है। पेन में सर्वाधिक पांच रुपए प्रति नग की गर्मी का आना बताया जा रहा है। प्लास्टिक के दाने में तेजी के बाद लंच बॉक्स और पानी की बोतल की कीमत वैसे भी साल भर से बढ़ रहींं है।