वृक्ष विहीन पहाड़ों हरियाली बिखेरने की कवायद
बिगड़े वन भी सुधारे जाएंगे
पहली बार बबूल फलियों की खरीदी 1800 से 2000 रुपए क्विंटल पर
बिलासपुर। उत्तर प्रदेश का रुझान देखकर बबूल फलियों के कारोबारी हैरत में हैं। तेज कीमत पर, हो रही खरीदी से संग्राहक भी बेहद खुश हैं क्योंकि बरसों बाद, पहली बार उत्साह बढ़ाने वाली कीमत मिल रही है। ऐसे में संग्रहण की मात्रा में अच्छी-खासी बढ़ोतरी की संभावना है।
बबूल के पेड़ों में फलियां लगने लगीं हैं। अगले दो माह में इसकी फसल, संग्राहकों के हाथों में आने लगेगी। इसके पखवाड़े भर बाद, यह बाजार में अपनी मजबूत मौजूदगी दिखा सकते हैं। इसलिए अब इसके संग्रहण स्थल यानी भंडार गृह की साफ-सफाई करवाई जा रही है ताकि मांगी जाने वाली गुणवत्ता बनी रहे। खरीददार राज्यों ने जो भाव खोले हैं उसे कारोबार और संग्राहकों का बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है।
इन जिलों को प्राथमिकता
खरीदी करने वाले प्रदेश की पसंद में अपने प्रदेश के मुंगेली और राजनांदगांव जिले की फसल को पहली प्राथमिकता मिल रही है क्योंकि चाही जा रही गुणवत्ता के मानक को, इन जिलों का बबूल पूरा कर रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए होलसेलरों ने जिलों में अपने संपर्क बढ़ाने चालू कर दिए हैं।
खरीदी और खरीददार
छत्तीसगढ़ से बबूल की फलियों की खरीद, वैसे तो बिहार और झारखंड करते रहे हैं लेकिन अब इन दोनों को भी पछाड़ कर उत्तर प्रदेश आगे निकल गया है। इसकी खरीदी से ही बबूल की फली पहली बार 1800 से 2000 रुपए क्विंटल की नई ऊंचाई पर पहुंच गयी है। इसमें और तेजी की संभावना है क्योंकि खरीदी को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ी हुई है।
नए जंगल तैयार करने
वन का घटता रकबा देखते हुए, उत्तर प्रदेश के वृक्ष विहीन पहाड़ों पर बबूल के बीज का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा बिगड़े वन सुधारने के लिए मदद ली जा रही है। दूसरे वृक्षों की अपेक्षा इसके पौधों को सिंचाई की जरूरत बेहद कम होती है, इसलिए अल्प वर्षा वाले क्षेत्रों में इसके बीज के छिड़काव की योजना सफल हो रही है। तेजी की एक वजह यह भी है।
जानिए बबूल को
आयरन, मैग्नीज, प्रोटीन और वसा से भरपूर, बबूल का पेड़ 7 से 15 मीटर लंबा होता है। पेड़ के तने का व्यास 20 से 30 सेंटीमीटर तक का होता है। पत्तियों और फूलों के बाद इसमें लगने वाली फलियों का भी विशेष महत्व है। 6 से 25 सेंटीमीटर लंबी और 4 से 15 मिलीमीटर चौड़ी, फलियों के भीतर, बीज प्रारंभ में हरा और सूखने के बाद भूरे रंग का हो जाता है। अर्ध शुष्क, गर्म शीतोष्ण और उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र बबूल को बेहद प्रिय है। शुष्क क्षेत्र में भी तैयार होने वाला यह पेड़ 4 से 47 डिग्री सेल्सियस तापमान के प्रति सहिष्णु होता है।
- डॉ अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट, फॉरेस्ट्री, टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर
यूपी की निकली मांग
वृक्ष विहीन पहाड़ों में नए जंगल तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश की डिमांड बबूल फलियों में निकली हुई है। इसलिए भाव में तेजी बनी हुई है।
- सुभाष अग्रवाल, संचालक, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर