बढ़ रही जमाखोरी

भाटापारा। गुड़ाखू और पान मसाला को एक बार फिर से कमाई का अवसर बनाया जाने लगा है। लॉकडाउन और शॉर्ट सप्लाई की अफवाह के बीच, जिस तरह की कीमत उपभोक्ताओं से ली जा रही है, वह प्रशासनिक अमले की सुस्ती को ही बताती है।

आपदा को अवसर बना रहा पान मसाला और गुड़ाखू कारोबार फिर से मनमानी कीमत लेने में लग चुका है। निर्धारित से अधिक मूल्य पर मिल रहे पान मसाला के चुनिंदा ब्रांड, नाराजगी तो फैला ही रहे हैं, तो निम्न आय वर्ग का उपभोक्ता और ग्रामीण क्षेत्र, गुड़ाखू में ली जा रही ज्यादा रकम से हलकान होने लगा है। खुदरा बाजार की इस मनमानी की खबर पहुंचने के बाद भी संबंधित विभाग के मौन से बाजार को बढ़ावा ही मिल रहा है।

राजश्री इस कीमत

बिलासपुर व्हाया तिल्दा होकर भाटापारा पहुंचने वाला पान मसाला राजश्री की प्रति बोरी कीमत 12 हजार 700 रुपए है लेकिन बेची जा रही है 14 हजार रुपए में। 50 पाउच वाला पैकेट 140 से 145 रुपए में बेचे जाने की खबर आ रही है। होलसेल में बढ़ी हुई कीमत के बाद 20 रुपए में 4 पाउच में से एक पाउच की कटौती कर दी गई है। यानें यह 20 रुपए में तीन पाउच ही मिल रहा है।

गुड़ाखू में आई गर्मी

कोरोना की पहली लहर में कीमत को लेकर आसमान छू चुका गुड़ाखू एक बार फिर से गर्म होने लगा है। लॉकडाउन और शार्ट सप्लाई जैसी चर्चा के बीच 200 ग्राम का पैक 30 से 40 रुपए की कीमत पर बिकने लगा है। जबकि इसकी एमआरपी 25 रुपए है। 5 रुपए वाला छोटा पैक 6 से 8 रुपए में मिलने की खबर आने लगी है।

तर्क अपने-अपने

कीमत में आई तेजी को लेकर गुड़ाखू और पान मसाला के थोक कारोबारियों का कहना है कि उत्पादन और आपूर्ति सामान्य ही है। दरअसल इसमें जमाखोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसलिए यह दोनों बाजार, कृत्रिम कमी के दौर से गुजर रहे हैं। चिल्हर बाजार इसके ठीक विपरीत, यह कह रहा है कि मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं किए जाने से यह स्थिति बन रही है।

अधिकतम खुदरा विक्रय मूल्य से अधिक कीमत लिए जाने की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा रही है।

  • डी. वर्मा, निरीक्षक ,नापतौल विभाग, बलौदा बाजार