छत्तीसगढ़ दर्शन 47 रूपए में…!

भाटापारा। कागज की कीमत और श्रम लागत में वृद्धि के बाद हिंदी महीने की जानकारी देने वाले कैलेंडर की खरीदी, इस बार 15 प्रतिशत महंगी पड़ेगी। इसी तरह पंचांग की कीमत भी बढ़ने की पूरी संभावना है। बाजार में मांग निकलने लगी है।

हिंदी माह, पर्व और त्यौहार जानने के लिए इस बरस ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। कलर ऑफसेट मशीनों में तैयार हुए पंचांग और कैलेंडर ने बाजार में दस्तक दे दी है। पूछ-परख के बाद छिटपुट ग्राहकी भी चालू हो चुकी है लेकिन कीमत में थोड़ी तेजी आई है। इसके बावजूद बाजार यह मानकर चल रहा है,कि जैसी स्थिति बन रही है वह अच्छे दिन का ही संकेत दे रही है।

आई तेजी 15 प्रतिशत की

कोरोना काल के बीच कैलेंडर बनाने वाली इकाइयों में कामकाज पूरी तरह ठप्प था। अब स्थिति तेजी से बदल रही है और बाजार भी सामान्य होने लगा है लिहाजा इकाइयों के परिचालन में तेजी आई है, लेकिन इस बरस कागज की कीमत काफी बढ़ी हुई है। साथ ही श्रम भी महंगा हुआ है। ऐसे में कैलेंडर की कीमत का बढ़ाया जाना विवशता है। अब यह 15 प्रतिशत की बढ़त के बाद उपस्थिति दे चुका है।

पंचांग का इंतजार

शादी- ब्याह, गृह प्रवेश ,संस्थान का शुभारंभ जैसे अवसर के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी देने वाले पंचांग की छपाई का काम लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इसे बाजार तक पहुंचने में एक पखवाड़े का समय लग सकता है। जिस तरह कैलेंडर की कीमत बढ़ी है, वैसी ही बढ़त की संभावना पंचांग की खरीदी में लगने लगी है।
57 रुपए में बाबूलाल

57 रुपए में बाबूलाल

हिंदी महीने की जानकारी देने वाले कैलेंडर में बाबूलाल चतुर्वेदी हमेशा से शिखर पर रहा है। इस बार यह 57 रुपए में उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा। लाला रामस्वरूप रामनारायण ने अपनी कीमत 52 रुपए बताई है। छत्तीसगढ़ दर्शन और काल दर्शन 45 रूपये में घरों तक पहुंचेंगे। श्री देव पंचांग की खरीदी भी 40 रुपए में करनी होगी।