माकपा और कांग्रेस नेताओं का मिला समर्थन

कोरबा। भू-विस्थापितों को रोजगार देने लंबित प्रकरणों को लेकर रविवार को कुसमुंडा क्षेत्र के विस्थापन प्रभावित ग्रामीणों ने एसईसीएल खदान में घुसकर कोयला उत्पादन ठप कर दिया। इसे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, छत्तीसगढ़ किसान सभा व कांग्रेस नेताओं का भी समर्थन मिला।

विस्थापन प्रभावित गांवों की समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने कुसमुंडा खदान के अंदर घुस कर उत्पादन ठप कर दिया। सुबह 5 बजे से जारी शाम 5 बजे तक धरना चला, इसके चलते प्रबंधन को करोड़ों रुपए का नुकसान होने की संभावना जताई गई है।

उल्लेखनीय है कि कुसमुंडा में कोयला खनन के लिए 1978 से 2004 तक जरहा जेल, बरपाली, दूरपा, खम्हरिया, मनगांव, बरमपुर, दुल्लापुर, जटराज, सोनपुरी, बरकुटा, गेवरा, भैसमा सहित कई गांवों के हजारों किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन अधिग्रहण के 40 वर्षो बाद भी भू-विस्थापित रोजगार के लिए भटक रहे हैं और एसईसीएल दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं। एसईसीएल के इस रवैये से गुस्साए सैकड़ों ग्रामीणों ने रोजगार एकता संघ बनाकर राधेश्याम कश्यप, प्रभु दामोदर, रेशम यादव, पुरषोत्तम, रघु, राजेश, मोहनलाल, केशव पांडे, अशोक, दीपक, रामप्रसाद आदि ग्रामीणों के नेतृत्व में खदान में घुस गए तथा उत्पादन को ठप्प कर दिया। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक आदि भी आंदोलन स्थल पर पंहुच कर धरने में बैठ गए। कांग्रेस के पार्षद अमरजीत सिंह, शैलेंद्र सिंह, शाहिद कुजूर, अजय प्रसाद तथा विनय बिंझवार ने भी समर्थकों के साथ ग्रामीणों का समर्थन किया।

उग्र आंदोलन की चेतावनी

तीन-चार दौर की वार्ता विफल होने पर आंदोलनकारी ग्रामीण उग्र हो गए, जिसके बाद बिलासपुर से पहुंचे एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारियों ने कटघोरा एसडीएम की उपस्थिति में एक माह के भीतर समस्या हल करने का लिखित आश्वासन दिया है। लेकिन ग्रामीणों ने कुसमुंडा कार्यालय पर एक माह तक धरना देने तथा समस्या का निराकरण न होने पर और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।