बिलासपुर। हुनरमंद हाथ कम हो रहे हैं इसलिए फूल झाड़ू 100 से 250 रुपए। पीछे वह छिंद झाड़ू भी नहीं है, जिसने 15 से 30 रुपए जैसी कीमत अपने नाम की हुई है।
झाड़ू-बुहारी का बाजार हैरत में है, फूल झाड़ू में आ रही वृद्धि को देखकर। रोज खुल रही नई कीमत को देखते हुए अब उसने सतर्क मुद्रा में खरीदी करने की योजना इसलिए बना ली है क्योंकि उपभोक्ता इस अनपेक्षित तेजी से दूर हो सकता है। इसी तरह पहली बार दो से तीन रुपए वह छिंद झाड़ू भी महंगा हुआ है, जिसके वृक्ष लगातार कम हो रहे हैं।हाथ, छोड़ रहे साथ
फूल झाड़ू बनाने वाले हुनरमंद हाथ, अब काम छोड़ रहे हैं। इसलिए मशीनों की मदद से फूल झाड़ू बनाया जा रहा है लेकिन इसमें वह बात नहीं, जो हाथों से बनाई गई झाड़ू में होती है। यही वजह है कि कीमत ने 100 से 250 रुपए प्रति नग जैसी ऊंचाई पर पहुंचकर और बढ़त का संकेत दिया हुआ है।

हाथ, छोड़ रहे साथ
फूल झाड़ू बनाने वाले हुनरमंद हाथ, अब काम छोड़ रहे हैं। इसलिए मशीनों की मदद से फूल झाड़ू बनाया जा रहा है लेकिन इसमें वह बात नहीं, जो हाथों से बनाई गई झाड़ू में होती है। यही वजह है कि कीमत ने 100 से 250 रुपए प्रति नग जैसी ऊंचाई पर पहुंचकर और बढ़त का संकेत दिया हुआ है।

खत्म हो रहे छिंद
बढ़त की राह पर छिंद झाड़ू भी है। बनाने वाले कारीगर तो हैं लेकिन छिंद के वृक्ष विकास की कीमत चुका रहे हैं, कटाई के रूप में। इसलिए न्यूनतम 15 रुपए और अधिकतम 30 रुपए जैसी बढ़ी हुई कीमत पर खरीदे जा रहे हैं। तेजी की अवधारणा को इसलिए बल मिल रहा है क्योंकि मांग के अनुरूप जंगलों से आपूर्ति घटते क्रम पर है।

यह 40 से 50 रुपए
खरहरा और सींक झाड़ू। अच्छी डिमांड है इन दोनों की लेकिन अब इनकी खरीदी 40 से 50 रुपए जैसी बढ़ी हुई कीमत पर करनी होगी। यह इसलिए क्योंकि क्वालिटी वाले बांस वन घट रहे हैं। ध्यान तो है इस स्थिति पर लेकिन प्राथमिकता ऐसी प्रजाति के बांस के पौधों के रोपण की है जिसकी व्यावसायिक मांग देश स्तर पर है इसलिए कीमत इन दोनों की भी बढ़ने की आशंका है।