बिलासपुर। आशंका सड़न या गलन की। ऐसे खेतों में यह खतरा ज्यादा होगा, जो डूब प्रभावित क्षेत्रों में आते हैं और रोपाई को महज तीन या चार दिन ही हुए हैं।

रखें तैयारी दोबारा बोनी या दोबारा रोपाई की। यह सलाह कृषि वैज्ञानिकों ने जल भराव वाले क्षेत्र के किसानों को दी है। यह इसलिए क्योंकि निचले खेतों में जल भराव की जानकारियां आने लगीं हैं।

खतरा यहां ज्यादा

नदी-नालों के करीब के खेतों के साथ गहराई वाले खेतों में यह संकट ज्यादा देखे जाने की आशंका है क्योंकि जल भराव को तीसरा दिन हो चुका है। खतरा तीन से चार दिन रोपाई वाले खेतों में भी समान रूप से बना हुआ है क्योंकि जल भराव से जड़ों की पकड़ में मजबूती नहीं आ पाई है। यह स्थिति किसानों को अतिरिक्त व्यय के लिए विवश कर सकती हैं।

रखें यह तैयारी

नुकसान की सही तस्वीर जल भराव खत्म होने के बाद ही साफ हो पाएगी लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को अग्रिम तैयारी रखने की सलाह दी है। कहा गया है कि रोपाई वाले खेतों के लिए अतिरिक्त नर्सरी की व्यवस्था रखें ताकि गल चुके पौधों की जगह रोपण किया जा सके। खुर्रा बोनी वाले खेतों में अंकुरित बीज की व्यवस्था सही होगी लेकिन इसके लिए जल निकास प्रणाली दुरुस्त करनी होगी।

ऊंचे खेतों में यह व्यवस्था

लाभदायक है यह बारिश ऊंचाई में स्थित खेतों के लिए क्योंकि जल भराव पर्याप्त नहीं होता। इसलिए मेड़ बंधान की ऊंचाई 3 से 5 सेंटीमीटर रखने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों ने दी है ताकि इतना पानी खेत में भरा रहे। सतत निगरानी मेड़ बंधान की करनी होगी रिसाव रोकने की व्यवस्था भी रखनी होगी ताकि प्रतिकूल स्थिति में भी नमी पर्याप्त मात्रा में बनी रहे।

रखें तैयारी

स्थिति चिंताजनक तो नहीं है लेकिन जल भराव वाले खेतों के किसानों को संभावित नुकसान से बचने के लिए दोबारा बोनी या रोपण की व्यवस्था रखनी होगी। मौसम साफ होने के बाद ग्रोथ प्रमोटर का छिड़काव कर सकते हैं।
डॉ. एस.आर. पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

यहां आशंका

जल भराव वाले जिन खेतों में रोपाई को तीन या चार दिन ही हुए हैं वहां नुकसान की आशंका है। इसलिए अतिरिक्त नर्सरी की व्यवस्था रखें ताकि गल चुके पौधों की जगह पर रोपण किया जा सके। उर्वरक का छिड़काव फिलहाल रोकें।
डॉ. दिनेश पांडे, साइंटिस्ट (एग्रोनॉमी), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर