मंदी के आसार नहीं, तैयार माल की मांग कमजोर
भाटापारा। 4350 से 4800 रुपए क्विंटल। बढ़नी चाहिए पोहा में यह कीमत क्योंकि पोहा क्वालिटी का महामाया धान लगातार महंगा होता जा रहा है।
एक सप्ताह तक उत्पादन पर ब्रेक लगाने के बावजूद पोहा मिलों की परेशानी अपनी जगह मजबूती से बनी हुई है। यह इसलिए क्योंकि पोहा क्वालिटी का महामाया लगातार बढ़त की राह पर है। इसमें मंदी के आसार फिलहाल नहीं हैं क्योंकि समर्थन मूल्य पर खरीदी चालू है, तो इकाइयों की मांग पूर्ववत स्तर पर कायम है।

पहली बार दोतरफा संकट
पोहा क्वालिटी का धान बेहद तेज। स्वाभाविक ही है तैयार पोहा की कीमत का बढ़ना। इन दोनों वजहों ने उपभोक्ता राज्यों की खरीदी पर ब्रेक लगाया हुआ है क्योंकि प्रतिस्पर्धी राज्यों का उत्पादन कम कीमत पर उपलब्ध है। ऐसे में पोहा मिलें, तैयार उत्पादन की प्रति क्विंटल 4350 से 4800 रुपए जैसी ठहरी हुई कीमत पर कारोबार करने के लिए विवश हैं।

स्थानीय मांग शून्य
राहत देती थी घरेलू मांग लेकिन यहां भी कड़ी प्रतिस्पर्धा जैसी स्थितियां बनने लगीं हैं। पैक्ड पोहा की प्रति किलो कीमत 49 से 50 रुपए पहुंचने के बाद स्थानीय मांग अब घटते क्रम पर हैं, इससे चिंता में आने लगीं हैं इकाईयां। लिहाजा राहत के उपाय खोजे जा रहे हैं, जो फिलहाल अंधेरे में ही हैं। ऐसे में जितनी मांग उतना ही उत्पादन की योजना है।

उठाव दगड़ी में भी नहीं
4400 से 4600 रुपए क्विंटल। मिक्चर बनाने वाली कंपनियों की लिवाली ठहरी हुई है। छिटपुट खरीदी लोकल मार्केट से है लेकिन इसे उत्साहजनक नहीं माना जा रहा है। यह स्थिति तब,जब शादी- ब्याह की तारीखें चालू हो चुकी है। इसके बावजूद यह क्षेत्र पोहा उत्पादन करने वाली ईकाइयों की नजर में है क्योंकि दगड़ी की सबसे बड़ी मांग वाला उपभोक्ता है यह।