सरकार और मौसम का असर
भाटापारा। श्री गणेश रुई और दीया जलाने वाले तेल की बिक्री का लेकिन इन दोनों की खरीदी पर भी ज्यादा पैसे देने होंगे क्योंकि महंगाई ने यहां भी प्रवेश कर लिया है।
अतिवृष्टि के असर से कपास की नई फसल में लगभग एक माह का अतिरिक्त समय। आयात ड्यूटी बढ़ने से खाद्य तेलों में तेजी। यह दोनों प्रमुख कारक, रुई और खाद्य तेलों में गर्मी की प्रमुख वजह माने जा रहे हैं। असर उस दीया-बाती और जलाने वाले तेल पर पड़ रहा है, जिसकी बहुतायत में मांग सीमित अवधि के लिए होती है।

इसलिए रुई गर्म
कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश कपास की व्यावसायिक खेती के लिए जाने जाते हैं। मौसम के तेवर के बाद यहां की कपास की फसल में कम-से-कम एक माह का विलंब संभावित है। ऐसे में मांग की आपूर्ति भंडारित कपास से की जा रही है। यही वजह है कि रुई 240 से 250 रुपए किलो जैसी तेज कीमत पर पहुंची हुई है। यह और बात है कि बाती 10 रुपए पैक पर स्थिर है।

यह तेल भी उबलने लगा
बारी है दीया जलाने वाले तेल की। होलसेल से रिटेल काउंटरों तक पहुंच चुका है, दीया जलाने वाला तेल लेकिन इसकी खरीदी पर 170 से 200 रुपए किलो तक रकम चुकानी पड़ेगी क्योंकि इसके लिए जरूरी तिल, अलसी और राईस ब्रान में तेजी आ चुकी है। फलतः उत्पादन लागत बढ़ रही है। एकतरफा दबाव राईस ब्राॅन ऑयल पर पड़ता नजर आ रहा है, जिसकी कीमत 127 से 133 रुपए तक पहुंच गई है।

रुई की नजर शीत ऋतु पर
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस मात्रा में बारिश हुई है, वह आगत शीत ऋतु में जोरदार ठंड लेकर आ सकता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग भी मिलते-जुलते पूर्वानुमान की संभावना जता रहा है। यह अनुमान यदि सही निकले, तो रुई की कीमत नया कीर्तिमान बना सकती है। इसलिए रुई बाजार बेहतर मांग एवं उच्च कीमत की आस लगाए बैठा है।