
बिलासपुर स्वास्थ्य विभाग की हालत इतनी बेहाल हो चुकी है कि महामारी में अब मरीजों को अस्पताल में भर्ती तक नहीं किया जा रहा। स्वास्थ्य विभाग के अफसर और जिला प्रशासन के जिम्मेदार चारों तरफ ढिंढोरा पीटते हैं कि उनके पास मरीजों को भर्ती करने के लिए पर्याप्त अस्पताल और विस्तर हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मरीज निजी और सरकारी अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें इलाज तो दूर भर्ती तक नहीं किया जा रहा। अगर बिलासपुर में स्वास्थ्य की हालत नहीं उधर पा रही है तो ऐसे अफसरों को कुर्सी तुरंत छोड़ देनी चाहिए। शर्म करो बिलासपुर स्वास्थ्य विभाग।
40 वर्षीय महिला ने इलाज के आभाव में तोड़ा दम

रिंग रोड-2 में रहने वाली 40 वर्षीय महिला मीनू ठाकुर की शनिवार को सुबह तबीयत बिगड़ी। उनका सुगर बढ़ा था। परिजन उन्हें लेकर पहले श्री राम केयर अस्पताल गए। यहां डॉक्टरों ने कहा कि इमरजेंसी है कहीं और लेकर जाओ। इसके बाद परिजन अपाेलो पहुंचे। यहां के डॉक्टरों ने तीन घंटे भटकाया। कहा पहले कोविड टेस्ट करूंगा इसके बाद इलाज करूंगा। कोविड टेस्ट किया नहीं सोनोग्राफी करने के बाद कहा कि महिला कोविड मरीज है हमारे यहां इलाज नहीं होगा। इसके बाद कागज बनाने में तीन घंटे भटकाया। फिर परिजनों ने विधायक शैलेष पांडेय से बात की तो उन्होंने कोविड अस्पताल जाने की सलाह दी। वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव से बात कि तो उन्होंने कहा कि केयर एंड क्योर अस्पताल चले जाइए। फिर हम केयर एंड क्योर गए। यहां भी दो-तीन घंटे घुमाने के बाद कहा कि हमारे यहां कोई व्यवस्था नहीं है आप कहीं और चले जाओ। फिर हमने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के खास पंकज सिंह से बात कि तो उन्होंने सीएमएचओ दफ्तर में पदस्थ नेत्र सहायक विजय सिंह का नंबर दिया। विजय सिंह से बात हुई तो उन्होंने कहा कि महादेव अस्पताल में दो घंटे बाद बेड खाली हो रहा है आप वहां चले जाओ। भटकते-भटकते सात-आठ घंटे हो गए। लेकिन इलाज नहीं मिला। जब महादेव अस्पताल पहुंचे तो वहां वेंटिलेटर खाली नहीं था। और कुछ ही देर बाद महिला की मौत हो गई। हमारे शहर में स्वास्थ्य की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि मरीज को दर-दर भटकने के बाद भी इलाज नहीं मिल रहा है। अंत में उसकी मौत तय है। बड़े- बड़े दावे करने वाले जिम्मेदार अब कहां चले गए।