प्राकृतिक तड़ित चालक है ताड़
बचाता है आकाशीय बिजली से
सतीश अग्रवाल
बिलासपुर। याद है तड़ित चालक की लेकिन भूल गए उस ताड़ के वृक्ष को, जो आकाशीय बिजली से मानव, मवेशी और परिंदों को बचाने में सक्षम है। प्रकृति के इस अनमोल उपहार की याद इसलिए वानिकी वैज्ञानिक कर रहे हैं क्योंकि इस बार आकाशीय बिजली गिरने की घटना बढ़ने की आशंका है।
जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान स्पष्ट संकेत दे रहा है कि इस वर्ष मानसून के दौरान आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में 15% की वृद्धि हो सकती है। यह वृद्धि जान-माल का नुकसान और बढ़ाएगी। हालांकि संरचनाओं में लाइटनिंग अरेस्टर लगाए गए हैं लेकिन ग्रामीण और मैदानी क्षेत्र खतरे में हैं क्योंकि सुरक्षा के कृत्रिम उपाय नहीं हैं। प्राकृतिक उपाय हमने काफी पहले से दूर कर दिए हैं।

ऐसे रोकता है आकाशीय बिजली
ताड़ का वृक्ष 90 से 100 फीट ऊंचा होता है। तने में कार्बन की मोटी परत होती है। जड़ें गहराई तक जाती है। ऊंचाई अधिक होने से बादलों को यह अपनी ओर खींचता है और गिरने वाली आकाशीय बिजली को जमीन तक आसानी से पहुंचाता है। दिलचस्प है कि फैलाव ली हुई पत्तियाँ भी आसमानी बिजली का विस्तार रोकने में सक्षम पाई गई हैं। यही वजह है कि जहां-जहां ताड़ के वृक्ष होते हैं, वहां आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं कम होतीं हैं।

बढ़ेंगी आकाशीय बिजली की घटनाएं
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि तापमान का स्तर जितना ज्यादा होगा, अनुपात में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं उतनी ही ज्यादा होंगी। बीते दो बरस में यह 15% बढ़ चुकी है। इस बरस यह आश्चर्यजनक रूप से बढ़ने की प्रबल आशंका है क्योंकि तापमान उच्च स्तर को छू चुका है। ऐसे में ताड़ जैसे वृक्षों के बीज बोने होंगे क्योंकि उपलब्ध लाइटनिंग अरेस्टर जैसे कृत्रिम उपाय की अपेक्षा, ताड़ के वृक्ष दीर्घकालिक उपाय हैं।

सुरक्षित है इनके लिए
आकाशीय बिजली से बचाव के लिए ताड़ के वृक्ष ग्रामीण क्षेत्र के लिए सबसे सुरक्षित उपाय हैं। इसके अलावा प्रतिकूल मौसम में यह चमगादड़ और अन्य पक्षियों के लिए भी आदर्श हैं, वह इस पर आश्रय बनाते हैं। मवेशी तो सदा से ही इसके नीचे ही विश्राम करते रहे हैं लेकिन ताड़ के वृक्ष जिस गति से खत्म हो रहे हैं उसे देखते हुए इसके बीज रोपण की जरूरत समझी जा रही है क्योंकि यह भूजल स्तर बढ़ता है, तो भूमि का कटाव भी प्रभावी तरीके से रोकता है।

ताड़ में उपस्थित कार्बन करती है रक्षा
ताड़ का पेड़ आमतौर पर 90 से 100 फीट ऊंचा होता है। ताड़ के पेड़ों में कार्बन की मात्रा अधिक होने के कारण यह बिजली गिरने से रोकने में सहायक होता है। ऊंचा पेड़ होने के कारण बिजली सीधे इस पेड़ से होकर जमीन पर जाती है और हमारी रक्षा करती है। तड़ित चालक भी इसी सिद्धांत पर कार्य करता है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर