प्राकृतिक रहवास हो गए खत्म
बिलासपुर। क्या याद है कि आपने आखिरी बार इन्हें कब देखा था ? शहर तो छोड़िए, अब यह गांव में भी नजर नहीं आते। प्रकृति का शानदार तोहफा जुगनू इसलिए खत्म होने की स्थिति में पहुंच चुका है क्योंकि हमारी अनंत लालसा इनके प्राकृतिक रहवास को नष्ट कर चुकी है।
जलवायु परिवर्तन ही नहीं, हमारी लालसा ने भी कीट-पतंगों में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले जुगनू को विलुप्ति की राह पर चलने के लिए मजबूर कर दिया है। ज्यादा से ज्यादा 50 बरस में यह महत्वपूर्ण कीट विलुप्त हो सकता है। तब आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में ही पढ़ पाएंगी और वीडियो में देख पाएंगी। अफसोस इस बात का है कि उन्हें वह खुशी हासिल नहीं होगी, जो कभी हमें बचपन में मिलती थी।

जीवन का संकेत है जुगनू
जुगनू बदलते वातावरण के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। यह वहीं जीवित रह सकते हैं, जहां शुद्ध प्राण वायु और शुद्ध जल होता है। जलवायु परिवर्तन, मानवीय व्यवहार और सरकारी कोशिशों ने ऐसा वातावरण बना डाला है, जो जुगनू को लगभग खत्म ही कर दे रहा है। जबकि यह जीवन का संकेत देने वाले माने जाते हैं।

मानव सबसे बड़ा दुश्मन
कटते पेड़, घटते वन क्षेत्र। जिन इलाकों में कभी घास के मैदान और घनी झाड़ियां होतीं थीं, वह जुगनुओं के प्राकृतिक रहवास होते थे लेकिन मानवीय लालसा ने यह खत्म कर दिया है। ऐसे में प्रकाश प्रदूषण की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। चपेट में आकर जुगनू अंधे हो रहे हैं और रास्ता भटक रहे हैं। अंत में यह सफर मौत पर जाकर खत्म हो रहा है।

साथ छूटा वसंत ऋतु का
वसंत ऋतु को जुगनुओं के लिए सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना जाता है। इस काल में ही इनकी आबादी बढ़ती है क्योंकि वसंत ऋतु में भूमि में काफी नमी होती है लेकिन असंतुलित बारिश और भूजल के बेहिसाब दोहन से भूमि की नमी वसंत ऋतु में भी कम हो जा रही है। ऐसे में जुगनूओं का नाता इस ऋतु से छूट चुका है। यह कारण भी विलुप्ति के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।

कीटनाशक तथा प्रकाश प्रदूषण प्रमुख कारक
जुगनू आबादी को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक कृषि में कीटनाशकों का उपयोग और बढ़ता प्रकाश प्रदूषण है। यदि उन्हें नियंत्रित नहीं किया गया तो अंततः जुगनू विलुप्त हो जाएंगे। चिंताजनक बात यह भी है कि तेजी से शहरीकरण के कारण दलदली भूमि के सिकुड़ने से जुगनू का प्राकृतिक आवास समाप्त हो गया है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर