बदल रहा ट्रेंड, दलहन बाजार का

बिलासपुर। 135 से 145 रुपए किलो। 35 रुपए की टूट के बाद, आगे मंदी की धारणा इसलिए बनी हुई है क्योंकि खंडा दाल का बाजार सबसे आगे चल रहा है। इधर नई फसल की आवक भी चालू हो चुकी है।

रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुकी दलहन की सभी किस्में अब उतार की राह पर चलती नजर आ रहीं हैं। इसके पीछे नई फसल की आवक मुख्य वजह मानी जा रही है, तो खंडा दाल की बढ़ती हिस्सेदारी को भी अहम माना जा रहा है। महत्वपूर्ण बदलाव यह देखा जा रहा है कि मध्य आय वर्ग का उपभोक्ता, अब अरहर दाल की ज़रूरतें, खंडा दाल से ही पूरी करने लगा है।

आवक नई फसल की

अरहर और चना में नई फसल की आवक कर्नाटक से चालू हो चुकी है। मौसम की वजह से मंडियों की बजाय दलहन उत्पादक इकाइयां, कच्चे माल की सीधी खरीदी कर रही है। खबरों के मुताबिक दलहन में अरहर और चना की फसल बीते साल की तुलना में बेहतर है। इसलिए मंदी की धारणा लगातार बनी हुई है। इसे प्रतिदिन टूटते दाम के रूप में देखा जा रहा है।

मांग अब खंडा में

दलहन बाजार में नया बदलाव माना जा रहा है, खंडा दाल की मांग को। जिस तेजी से मध्य आय उपभोक्ता वर्ग इसे लेकर रुझान दिखा रहा है, वह स्पष्ट कर रहा है कि दाल की कीमत अभी भी क्रय शक्ति से बाहर ही है। दाल की कीमतों में आई टूट के बाद, खंडा दाल भी मंदी की राह पर है। फिलहाल इसकी कीमत 60 से 100 रुपए किलो पर है।

ऐसे हैं भाव

बेहतर फसल की खबर के बाद अरहर खड़ा 8000 से 8500 रुपए क्विंटल की दर पर इकाइयों में पहुंच रहा है। दाल के रूप में खुदरा दुकानें, इसका विक्रय 135 से 145 रुपए किलो पर कर रहीं हैं। 5300 से 5400 रूपये क्विंटल पर चना में हो रहे सौदे के बाद चना दाल 65 से 75 रुपए किलो पर बेची जा रही है। बारिश के बाद प्रांगण फिलहाल सूना है। कमजोर आवक के बीच दाल मिलों की खरीदी लगभग नहीं है। इसलिए तिवरा 5000 रुपए और बटरी 5300 से 5400 रुपए क्विंटल पर स्थिर है।

By MIG