मजबूत धान, कमजोर पोहा, संकट में पोहा मिलें

भाटापारा। धान मजबूत, पोहा कमजोर। विवश हैं पोहा उत्पादन करने वाली इकाइयां, संचालन की अवधि कम करने के लिए। आने वाले दिन कैसे होंगे ? जैसे सवाल के जवाब खोज रही हैं पोहा मिलें।

2023 का साल जैसे बीता, उसे भूली नहीं हैं, पोहा उत्पादन करने वाली इकाइयां। बेहतर दिन की आस इसलिए भी नहीं है क्योंकि पोहा क्वालिटी का महामाया धान अभी भी तेज माना जा रहा है। मंदी की संभावना फिलहाल दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।

मजबूत महामाया

समर्थन मूल्य और प्रति एकड़ खरीदी की मात्रा ज्यादा होना। मंडी प्रांगण में कमजोर आवक की वजह बनी हुई है। रही-सही कसर प्रतिस्पर्धी खरीदी पूरी कर रही है। यह परिस्थितियां, पोहा क्वालिटी धान की कीमत को मजबूती दे रहीं हैं। मंदी के संकेत इसलिए भी नहीं मिल रहे हैं क्योंकि समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की अवधि बढ़ाए जाने की संभावना बनी हुई है।
महामाया धान- 2300 से 2350 रुपए क्विंटल

ठंडा हो रहा पोहा

पूरी तरह प्रतिकूल स्थितियों के बीच उत्पादित पोहा की खरीदी फिलहाल उपभोक्ता राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश से निकली हुई है लेकिन मांग की मात्रा, उत्साह बढ़ाने वाली नहीं मानी जा रही है। इसलिए नए उपभोक्ता बाजार की तलाश के संकेत मिल रहे हैं। अब रही बात घरेलू मांग की, तो यह हमेशा की तरह स्थिर बनी हुई है।

पोहा – 3600 से 4200 रुपए क्विंटल

9 नहीं, 6 घंटे

सामान्य दिनों में पोहा मिलों की संचालन अवधि 9 घंटे होती है। कमजोर बाजार के बाद अब ताजा स्थितियों में यह कार्य अवधि 6 घंटे की कर दी गई है। ऐसी भी इकाइयां है, जहां कार्य दिवस कम किए जाने लगे हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि संकट कितना गहरा हो चुका है।

पोहा क्वालिटी धान में ऊंची कीमत तो है ही साथ ही उत्पादित पोहा में अपेक्षित मांग का भी अभाव बना हुआ है। इसलिए इकाइयों के संचालन का समय कम किया गया है।

  • रंजीत दावानी, अध्यक्ष, पोहा मिल एसोसिएशन, भाटापारा

By MIG