कागज उत्पादन इकाईयों में जोरदार मांग

सतीश अग्रवाल

बिलासपुर। यूकेलिप्टस। एक मात्र ऐसी प्रजाति है जो बंजर, पथरीली और ऊंची, नीची भूमि पर तैयार हो जाने की क्षमता रखती है। दिलचस्प यह कि इस अनोखे वृक्ष की शाखाएं स्वतः साथ छोड़ती है। यह काम बढ़वार के दौरान होता है।

पौधरोपण में इस बरस यूकेलिप्टस यानी नीलगिरी को जैसी जगह मिली है, उससे वन विभाग हैरान है। निजी क्षेत्र की नर्सरियां अब तक इसके पौधे बेच रहीं हैं। सर्वाधिक रोपण, कागज उत्पादन करने वाली इकाइयों ने की है क्योंकि कागज के लिए जरूरी लुगदी, यूकेलिप्टस से ही बनाई जाती है।

भूमि सुधार में पहला नाम

नीलगिरी में किए गए अनुसंधान में बंजर भूमि को सुधारने के अनोखे गुण मिले हैं। यही वजह है कि किसानों के बीच पौधरोपण में इसे पहली प्राथमिकता मिलती है। दूसरी वजह यह है कि कटाई के बाद खाली जमीन पर धान, दलहन व तिलहन की खेती की जा सकती है।

ऐसी परिस्थिति में बढ़िया बढ़वार

उबड़-खाबड़, पथरीली और ऊंची- नीची भूमि पर नीलगिरी तेजी से बढ़ता है। 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इसकी ग्रोथ हैरान कर देने वाली होती है। इसके अलावा उच्च प्रकाश वाली जगह पर भी बढ़वार अपेक्षाकृत ज्यादा देखी गई है। याने हर विपरीत परिस्थिति में खुद को बचा ले जाने में सक्षम है।

यहां सबसे ज्यादा रोपण

पेपर इंडस्ट्रीज। इस वक्त सबसे ज्यादा रोपण करने वाला क्षेत्र माना जा रहा है। नीलगिरी से बनने वाले लुगदी यानी पल्प की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यह क्षेत्र विशाल रकबे में इस प्रजाति के पौधों का रोपण कर रहा है। यह इसलिए क्योंकि यूक्रेन से पल्प के आयात पर प्रतिबंध है।

उपयोग क्षेत्र

कागज उत्पादन करने वाली इकाईयां तो हैं हीं, साथ में भवन निर्माण का क्षेत्र दूसरा सबसे बड़ी मांग वाला क्षेत्र है, जहां पूरे साल नीलगिरी की बल्लियों की मांग रहती है। इसके अलावा कृषि उपकरण भी बनते हैं, लिहाजा किसानों में भी मांग रहती आई है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पौधरोपण की सूची में इसे शीर्ष स्थान पर रखा है।

तेजी से बढ़ने वाला सदाबहार पेड़

नीलगिरी की लकड़ी को इसकी मजबूती, स्थायित्व और गुण के लिए अत्यधिक मूल्यवान माना जाता है, और इसका उपयोग निर्माण, कागज और फर्नीचर बनाने सहित विभिन्न प्रकार के उत्पादों में किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कुछ प्रजातियों की पत्तियों से निकाले गए नीलगिरी के तेल का दवा, इत्र और स्वाद में कई अनुप्रयोग है।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर