शून्य सुविधा के बीच तराश रहे प्रतिभा
भाटापारा। कब मिलेगी खेल सामग्री ? खेल मैदान की सुविधा ? पूछ रहे खिलाड़ी जिन्होंने अब तक खेल प्रशिक्षण शिविर लगते नहीं देखा। आगे बढ़ने की इच्छा है, इसलिए खुद के पैसे से सामग्री खरीद रहे हैं और उस रावणभाठा मैदान में खेलने जाते हैं, जहां सुविधाएं शून्य हैं।
जनप्रतिनिधियों से उम्मीद नहीं करते शहर के खिलाड़ी कि ध्यान देंगे। भाजपा या कांग्रेस दोनों के लिए यह बेकार की ही कवायद है। आस थी प्रशासन से लेकिन फौरी जांच के बाद नतीजा मैदान पर दिखाई नहीं देता। इसलिए मेहनत करके खुद ही, खुद को तराश रहे हैं प्रतिस्पर्धा के लिए।

यह कब
प्रशासन मानकर चल रहा है कि स्टेडियम और रावणभाठा मैदान में सुविधाएं दी गई हैं लेकिन कैसे हैं यह दोनों स्थल ? मौके पर पहुंचकर ही जाना जा सकता है। टूटा-फूटा स्टेडियम, उबड़-खाबड़ जमीन । यह हकीकत है दोनों की। इसके बावजूद खेल प्रेमी और नवोदित खिलाड़ी किसी तरह अभ्यास कर रहे हैं। कैसे निखारेंगे यह खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को ? जवाब नहीं मिलते।

खुद खरीदते हैं खेल सामग्री
कहने के लिए ही है कि हम नियमित रूप से खेल सामग्री देते हैं। कभी दिया होगा, यह कभी देखा नहीं खिलाड़ियों ने। सपना है राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का, इसलिए खुद के पैसे से खेल सामग्री खरीदने के लिए मजबूर हैं खिलाड़ी। ले-देकर बास्केटबॉल का मैदान बना लेकिन जरूरी सुविधाओं की राह आज भी देखी जा रही है।

प्रतीक्षा कोच की
नेशनल गेम्स में हिस्सेदारी निभा चुके खिलाड़ी ही दे रहें हैं नवोदित खिलाड़ियों को प्रशिक्षण क्योंकि कोच नहीं दिए गए हैं। इसके अलावा वरिष्ठ खिलाड़ियों से भी मार्गदर्शन लेते हैं। हद तो तब, जब विभाग ने ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण का कैंप लगाना भी जरूरी नहीं समझा। पूछने पर जवाब मिलता है- प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। प्रयास कर रहे हैं।
खेल मैदान और खेल सामग्री के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। रही बात कोच की, तो स्कूलों में पी टी टीचरों की मदद ली जा सकती है। समर कैंप के लिए प्रयास किया जाएगा।
- प्रीति बंछोड़, जिला क्रीड़ा अधिकारी, बलौदा बाजार