उपलब्धता कम,मांग ज्यादा
बिलासपुर। कीट प्रकोप। पत्तियों का कटा- फटा होना ही नही, प्राकृतिक आकृति भी बदल रही है बेल पत्तियों की। यह नया बदलाव फूल बेचने वाली दुकानों की परेशानी की बड़ी वजह बन रही है क्योंकि सावन के चालू हो चुके माह में भक्तों की मांग बढ़ रही है।
शिवालयों में इस बार बेल पत्तियों का अर्पण भक्तों को बेहद महंगा पड़ रहा है क्योंकि मांग के अनुरूप बेल पत्तियों की उपलब्धता बेहद कमजोर है। इसी कड़ी में वे फूल भी महंगे हो चले हैं, जो इन दिनों मांग में रहते हैं। हद तो यह कि सफेद फूल तक की भी उपलब्धता तेजी से कम हो रही है।

इसलिए बेल पत्तियां खराब
विलंब से मानसून का आना। तेज बारिश के बाद उमस भरी गर्मी। यह स्थिति उस कीट के लिए अनुकूल थी, जो ऐसे ही मौसम में बेल की पत्तियों में पनपती और बढ़ती हैं। यही वजह है कि बेल पत्तियां कटी-फटी आ रहीं हैं। जो सही हैं उनकी प्राकृतिक आकृति भी प्रभावित होती नजर आ रही है।

फूल उत्पादन बेहद कमजोर
मांग के दिन हैं, कनेर और गुड़हल के फूलों में। पुष्पन के लिए तैयार होने के समय मौसम की मार इन दोनों पर भी पड़ी। कनेर ने खुद को तो किसी तरह संभाल लिया लेकिन गुड़हल ऐसा नहीं कर पाया। असर कमजोर पुष्प के रूप में सामने हैं। ले- देकर रजनीगंधा से किसी तरह पूजा की जा रही है। सफेद फूल में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है।

हाल बाजार का
भक्तों की मांग पूरा करने में लगा फूल बाजार कमजोर उपलब्धता के बीच बेल पत्तियों का 11 नग का पैकेट 10 रुपए में बेच रहा है। गुड़हल के फूल दो रुपए प्रति नग में मिल रहे हैं। कनेर में मांग के अनुसार 10 या 20 रुपये में पैकेट बनाकर दिए जा रहे हैं। मांग निकली हुई है इसलिए रजनीगंधा 100 रुपए में 250 ग्राम की मात्रा दी जा रही है।

क्या कहते हैं वानिकी वैज्ञानिक
बी टी सी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर के वानिकी वैज्ञानिक अजीत विलियम्स का इस बारे में कहना है कि मौसम में जो बदलाव आया हुआ है, उसकी वजह से बेल की पत्तियों में कैंकर, डाई बैक नामक रोग और चितकबरी सुंडी जैसे कीट फैल रहे हैं। इन कीटों के हमले से स्वस्थ पत्तियां किनारे से कट रहीं हैं। प्रकोप, नुकसान की सीमा से ज्यादा है।
खराब आ रही बेल पत्तियां
बेल पत्तियों की स्थिति सही नहीं है। जो आ रही हैं, उनमें अधिकांश कटी-फटी हैं। इसलिए कीमत में तेजी है। रही बात फूलों की, तो लोकल बाड़ियों में फूलों की फसल बेहद कमजोर है।
– रॉकी माली, छाया पुष्प भंडार, बिलासपुर