व्यवस्था बनाने से भाग रहा मंडी प्रबंधन

भाटापारा- मानसून की पहली बारिश। उन दलहन किसानों के लिए नुकसान पहुंचाने वाली रही जो अपनी उपज बेचने मंडी प्रांगण पहुंचे थे। नालियों का पानी जिस तरह उपज को खराब कर गया, उससे एक बात तो साबित हो गई कि मंडी प्रशासन ने संकट से निपटने की तैयारी अभी भी नहीं की है।

किसान भाई कृपया ध्यान दें। उपज बेचने मंडी आने से पहले बचाव के साधन साथ में लेकर आएं क्योंकि प्रबंधन से सहायता नहीं मिलेगी। हालांकि बहुतेरे किसान यह व्यवस्था खुद करने लगे हैं लेकिन सतह पर ठहर-ठहर कर बहने वाले पानी से बचाव के साधन नहीं सूझ रहे हैं। उपाय हैं लेकिन जैसी अनदेखी की जा रही है उसमें एक सवाल सामने है कि आखिर मंडी प्रबंधन करता क्या है ?

पहली बारिश, पहला दिन

मौसम विभाग की पूर्व सूचना थी। बचाव की आवश्यक तैयारियां करनी थी लेकिन जैसी अनदेखी मंडी प्रशासन ने की उसका खामियाजा दलहन किसानों को भुगतना पड़ा। हद तो तब, जब प्रांगण की बाहर की सड़क का पानी नालियों से होता हुआ भीतर तक पहुंच गया। जिससे उपज की बड़ी मात्रा खराब हो गई।

खुले प्रांगण में यह हाल

बड़ी मात्रा में नीलाम होती है कृषि उपज, खुले प्रांगण में। यहां का दृश्य तो सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब जागेंगे जनप्रतिनिधि। कब सुध आएगी प्रबंधन को ? सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे। ऐसी स्थिति में उपज की बड़ी मात्रा को सतह से होकर बहने वाला पानी खराब करता है, तो ऊपर का हिस्सा भी नुकसान के घेरे में आता है।

लापरवाही यहां भी

पानी की निकासी के लिए प्रांगण में नालियां तो हैं लेकिन नियमित सफाई नहीं करवाई जाती। ऐसे में नालियों में बड़ी मात्रा में गाद जमी हुई है। इसलिए नालियों का पानी प्रांगण में फैलता है। इससे भी उपज को बेवजह नुकसान होता है। सदाबहार जवाब-ध्यान में हैं, बहुत जल्द सफाई करवाई जाएगी।

नुकसान दोनों को

नीलाम होने के पूर्व की स्थितियों में होने वाली हानि हर हाल में किसानों को उठानी पड़ती है, तो नीलाम के बाद संबंधित क्रेता को यह नुकसान उठाना होता है लेकिन किसान को नुकसान उस वक्त ज्यादा होता है जब सतह की उपज गीली होती है। यह हिस्सा क्रेता नहीं लेता। प्रबंधन ने इस ओर से भी आंखें मूंदी हुई हैं।