(उस्मान कुरैशी रतनपुर )

बिलासपुर। हेडिंग देखकर आप भी चौक गए होंगे कि ये गब्बर और जय वीरू का क्या मामला है..? ऐसा चौकाने वाला करतब तो मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी बिलासपुर ने कर दिखाया है। सोमवार को कार्यालय मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी बिलासपुर से एक आदेष जारी किया गया है। जिसमें कोविड-19 में उत्कृश्ट कार्य करने वाले अधिकारी कर्मचारियों को प्रषस्ति पत्र प्रदान करने चयन समिति बनाया गया है। इस चयन समिति में उस डॉक्टर को भी नामांकित किया गया है जिन्होने क्वारंटीन सेंटर में कथित कोरोना से हुई मौत की पुश्टि के लिए खुद न जाकर अपने अधीनस्थ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को मृतक की जांच कर मौत की पुश्टि करने की जिम्मेदारी दे दी थी।

गौर तलब हो कि महामाया कालेज में लौट के घर आए प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन करने क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था जहाँ रखे मस्तूरी क्षेत्र के एक मजबूर की संदिग्ध मौत हो गई थी इसकी सूचना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रतनपुर को दी गई थी जहां के तत्कालीन प्रभारी डाक्टर अनिल श्रीवास्तव अपने एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के साथ मौके पर पहुँचे और खुद बाहर रहकर मजबूर की मौत की पुष्टि करने जांच के लिए अपने साथ लाए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को पीपीई किट पहना कर अंदर भेजा जहाँ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने मौत की पुष्टि की थी इस घटना के बाद काफी बवाल मचा था इस मामले की जांच कराने की बात सीएमएचओ डाक्टर प्रमोद महाजन ने भी कही थी इसके बाद कोई जांच तो नहीं हुई औउल्टे रतनपुर सीएचसी के प्रभारी डाक्टर को मलाई दार पद देकर जिला मलेरिया अधिकारी बना दिया गया है वही अब इसी डाक्टर को सोमवार को कार्यालय मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी बिलासपुर ने कोविड-19 में उत्कृश्ट कार्य करने वाले अधिकारी कर्मचारियों को प्रषस्ति पत्र प्रदान करने बनाई चयन समिति में नामांकित किया गया है ऐसे में सूची बनाने में सुचिता पर सवाल उठना स्वाभाविक है