कैसे होंगे रबी फसल की आवक के दिन ?

सड़क से लेकर प्रांगण तक अव्यवस्था



भाटापारा। टूट ना जाए ऐसी आवक। आशंका इसलिए बन रही है क्योंकि कार्य का हर चरण अव्यवस्था की जद में आ रहा है। जैसी स्थिति बीते 2 दिन से देखी जा रही है, उसके बाद यही सवाल उठता दिखाई देता है कि रबी फसल की आवक के दिन कैसे होंगे ?

फिर से चर्चा का विषय बन रही है कृषि उपज मंडी। गुरुवार और शुक्रवार की भरपूर आवक ने मंडी प्रशासन की खामियां सामने लाकर रख दी हैं। यह भी बता दिया है कि अव्यवस्था की पैठ कितने गहरे तक है? दूर करने की जो कोशिश की जाती है, उसमें कितनी पारदर्शिता है ? लिहाजा ठोस प्रबंधन करना होगा ताकि रबी फसल की आवक के पहले सब कुछ सही मिले किसानों को।

हर बरस यह दृश्य

खरीफ के बाद रबी फसल की तैयारियों में हैं किसान। नए के लिए जगह खाली करना है। यह सोच, भरपूर आवक के रूप में मंडी पहुंच रही है। अव्यवस्था की शुरुआत प्रांगण पहुंचने के पहले लगते जाम से हो रही है। तेज धूप में कृषि उपज लेकर खड़े किसानों को लगभग पूरा दिन इंतजार करना पड़ रहा है। यह इसलिए क्योंकि प्रांगण में बीते दिवस की उपज का उठाव नहीं हो पाया है।

शाश्वत समस्या प्रांगण की

‘प्रांगण छोटा है इसलिए कार्य प्रभावित होता है’ ऐसा कहने वाले जिम्मेदार बहुतेरे मिल जाएंगे लेकिन यह बताने वाले शायद ही मिलेंगे कि मजदूरों की अपेक्षित संख्या को लेकर प्रयास क्यों नहीं किए जाते? नीलाम के बाद की सभी प्रक्रिया समय पर पूरी क्यों नहीं की जाती ? जैसे सवाल से बचने की कोशिश, हर वह शख्स करता है जिस पर इसकी जिम्मेदारी है।

सहयोग किसी का नहीं

राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर हुए परिवर्तन से उम्मीद थी, व्यवस्था में कसावट की लेकिन यह आस टूट रही है। ‘करेंगे और देख रहे हैं’, जैसे शब्द प्रशासनिक हल्के से अभी भी सुने जा रहे हैं। ” अरे यह तो बेहद गलत है, मैं देख रहा हूं कि क्यों नहीं होगा” जैसे रटे-रटाए जवाब के साथ प्रतिनिधि भी मौजूद हैं लेकिन ना देखा जाता, ना किया जाता।