बेमौसम बारिश का गहरा असर
बिलासपुर। बादल, बारिश और चल रही तेज हवाएं। मानक आकार से छोटे होंगे फूल और कम होगा वजन। तेज झटका है उनके लिए, जिनकी पूरे साल की रोजी-रोटी की व्यवस्था ही महुआ संग्रहण से होती है। संकट उस कारोबारी क्षेत्र पर भी मंडरा रहा है, जो महुआ का अंतर प्रांतीय कारोबार करते हैं और इस समय इंतजार कर रहे हैं भरपूर आवक का।
मौसम का मिजाज जैसा बना हुआ है उससे किसान ही नहीं, बाजार भी हतप्रभ है। सीजन ने दस्तक दे दी है। इसलिए गहरा और व्यापक असर महुआ संग्रहण और कारोबार पर देखा जाने वाला है। सालाना लगभग 5 लाख टन महुआ की आवक पर एक झटके में मौसम ने तगड़ी चोट पहुंचा दी है। गंभीर मुद्रा में अब प्रतीक्षा की जा रही है उस दिन की, जब मौसम साफ होगा और आवक शुरू होगी।

फूल छोटा, वजन कम
गुणवत्ता को लेकर सतर्क रहने वाला महुआ बाजार तय मानकर चल रहा है कि नई आवक में फूलों का आकार छोटा होगा और वजन भी कम आएगा। तेज हवा से अपरिपक्व फूलों का गिरना, इसके पीछे की बड़ी वजह होगी। यह स्थिति संग्राहकों के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह साबित होगी। कारोबारी क्षेत्र को गुणवत्ता सही नहीं मिलने से होने वाले नुकसान का सामना करना होगा।

नए के लिए सात दिन और
जो कलियां बच गईं हैं उनके परिपक्व होने के लिए एक सप्ताह का समय और लगेगा। यह स्थिति नई फसल में विलंब की स्थिति को स्पष्ट करती है। सप्ताह भर बाद आने वाली नई फसल की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि अगर यह सही नहीं आई तो प्रतिकूल स्थिति और मांग के बीच सामंजस्य कैसे बनाया जाएगा ?

मानक तापमान
महुआ की बेहतर फसल के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान को आदर्श माना गया है लेकिन वर्तमान स्थिति प्रतिकूल हैं। बारिश और तेज हवाओं के असर से छोटे और अपरिपक्व फूल गिर रहे हैं। यह स्थिति महुआ संग्राहकों और कारोबार पर गहरा असर डाल रही है। लिहाजा नुकसान से बचने के लिए नए फूल लगने के दिनों का इंतजार है।
यह राज्य संकट में
छत्तीसगढ़, तेलंगाना, झारखंड, और उड़ीसा जैसे राज्य, प्रकृति के बदलते रूप से संकट में आ चुके हैं। यह इसलिए क्योंकि यह चारों प्रांत ही महुआ की राष्ट्रीय मांग को पूरा करते हैं। साथ ही छाल से दवाइयां बनाने वाली इकाईयों को भी नुकसान का सामना करना होगा क्योंकि छाल की आपूर्ति भी यही राज्य करते हैं।

5 प्रतिशत की आएगी कमी
महुआ की कुल मांग में लगभग 5 लाख टन की हिस्सेदारी रखता है अपना छत्तीसगढ़। इस बार इसमें पांच से दस प्रतिशत कमी का अंदेशा है क्योंकि फूल परिपक्वता अवधि के पहले ही गिर रहे हैं।
सुभाष अग्रवाल, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर
उपज कम होने की संभावना
महुआ छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन का सांस्कृतिक एवं आर्थिक आधार है । यह लोक एवं परलोक दोनों में महत्वपूर्ण है । महुआ के पेड़ों में फूलों के आकार में बढ़ने के लिए हल्के गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है और अंत में वे घंटों में गिर जाते हैं । 20 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान अनुकूल होता है। क्षेत्र में असामान्य मौसम की स्थिति में महुआ के पेड़ों में फूल आने की अवस्था में देरी और फूलों की उपज लगभग एक तिहाई कम होने की संभावना है ।
अजीत विलियम्स, वैज्ञानिक (वानिकी), बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर