बलौदाबाजार-भाटापारा । साइटसेवर्स इंडिया द्वारा जिले में समावेशी शिक्षा के अंतर्गत शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत दृष्टिबाधित व अल्पदृष्टिबाधित छात्र- छात्राओं के समावेशी शिक्षण व्यवस्था में विशेष शिक्षा को समाहित करने विकासखंड कसडोल में तीन दिवसीय प्रशिक्षण 10 फरवरी तक दिया गया ।

विकास खंड कसडोल व बिलाईगढ़ के विभिन्न विद्यालयों से 30 शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया गया था जिसके अंतर्गत दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत आने वाले सभी 21प्रकार की दिव्यांगता पर आधारित चिन्हांकन, पहचान, कारण और समस्या निवारण पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। विशेष रूप से दृष्टिबाधित व अल्पदृष्टिबाधित बच्चों के शिक्षण में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने हेतु दक्ष प्रशिक्षकों के द्वारा विशेष तकनीकी प्रशिक्षण पर व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। अति आधुनिक तकनीकी संसाधनों के उपयोग यथा- स्मार्ट छड़ी, डेज़ी प्लेयर, मोबाइल व लैपटॉप के स्क्रीन रीडर के माध्यम से चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। साथ -साथ स्थानीय संसाधनों को दृष्टिवाधित विद्यार्थियों के पढ़ने , लिखने व समझने के अनुकूल शिक्षण सहायक सामग्री निर्माण शाला पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में ब्रेल, टेलर फ्रेम, अनुस्थिति व चलिष्णुता, ज्ञानेन्द्रिय प्रशिक्षण, अबेकस व दृष्टिबाधित व अल्पदृष्टिबाधित बच्चों की शिक्षा व्यवस्था हेतु शिक्षण सहायक सामग्री को संभागियों द्वारा निर्मित भी करवाया गया । विद्यालय स्तर पर भी इनका निर्माण कर बच्चों की विषयानुरूप समस्याओं को हल किया जा सके। प्रशिक्षण को साइटसेवर्स के सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर गौरव जैन, राज्य तकनीकी सलाहकार करन सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन में जिला परियोजना समन्वयक राकेश कुमार साहू व जिला समावेशित विशेष शिक्षक बलराम द्वारा संपादित किया गया। मास्टर ट्रेनर प्रमोद कुमार व अशोक सोंलकी रहे। प्रशिक्षण को सफल बनाने में शिक्षा विभाग से कसडोल खंड स्रोत समन्वयक तीरथ राम घृतलहरे , रामदयाल पटेल , बी. आर.पी. सविता, गोरेलाल साहू , फिरतू राम साहू का सहयोग रहा। प्रशिक्षण के अंतिम दिवस रायपुर डाइट से पहुंचे अधिकारी आर. के. वर्मा , मुकुंद साहू , एल .आर . वर्मा, के.के.गुप्ता ने प्रशिक्षणार्थियों का मार्गदर्शन कर सुझाव दिया । सभी प्रशिक्षणार्थियों से प्रशिक्षण का फीडबैक लिया गया। इसमें दिव्यांगता से जुड़ी हुई नई- नई जानकारियों से अवगत हुए । विद्यालय स्तर पर दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षण देने मे समस्याएं आ रही थी उनके समाधान के लिए पहली बार प्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक दिशा निर्देश प्राप्त हुए।