अपोलो अस्पताल किसी वार्ड मैं भर्ती दयालबंद क्षेत्र के 1 वार्ड के समर्थक अभी भी खुद को दे रहे हैं दिलासा

(अपोलो अस्पताल के एक वार्ड से लाईव शशि कोन्हेर द्वारा )

बिलासपुर। ये एक संयोग ही कि कल देर रात मुझे ऑक्सीजन की कमी के चलते विद्वान चिकित्सक श्री मनोज राय के अधीन अपोलो के जिस वार्ड में कंपलीट रेस्ट के लिए जगह मिली थी.. उसी वार्ड में शहर के दयालबंद क्षेत्र के उस कौम की एक मरीज ऑक्सीजन की कमी के कारण इलाज के लिए भर्ती थे जो अपनी दानवीरता और मदद के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है.. कल सोमवार को डॉक्टर भांजा के मार्गदर्शन में इलाज करवा रहे, इस मरीज का, अस्पताल में आठवां दिन था और मेरा पहला… शुरुआती पूछ-परिचय के बाद उन्होंने जो कुछ बताया उसका लब्बोलुआब यही था कि उन्हें शहर विधायक की ओर से पूरा आश्वासन मिला है कि इलाज में आर्थिक मदद का उनका कागज रायपुर चुका है और कोई गुप्ता जी है जो उसे पास कराकर जल्द ही आर्थिक मदद भेज देंगे। और इसी बिना पर वह हम मरीज– बार-बार–आएंगे आएंगे–मेरे शैलेश पांडे आएंगे–मुझको अस्पताल से घर ले जाएंगे— की माला…घर वालों के सामने जपते रहे… उनका विधायक शैलेश पांडे पर इस कदर भरोसा देखकर मैं दंग रह गया… इतना तो उक्त मरीज को शायद अपने उस लंग्स (फेफड़ों) पर भी भरोसा नहीं रहा होगा..जिसका इलाज कराने वो अपोलो में भर्ती हुए थे.. बहरहाल,आज मंगलवार की सुबह तक अस्पताल में उनका बिल भी तकरीबन ढाई लाख रूपय तक पहुंच गया था..और जैसी की उम्मीद थी, आज सुबह वार्ड में पहुंचे ह्रदय रोग विशेषज्ञ डा. भांजा ने उनको डिस्चार्ज करने का आदेश भी दे दिया..अस्पताल से उनका डिस्चार्ज आज भी जारी हो गया.. और मुझ जैसे अपोलो जाने-आने वाले मरीज यह जानते हैं कि अपोलो अस्पताल, जाना तो बेहद आसान है…पर वहां से निकलना बेहद कठिन… जिनके पास पैसे हों, उनके लिए भी… और जिनके पास ना हों…उनके लिए तो और भी बहुत कठिन… तब वहां सिर्फ आप और आपका परिवार और अपोलो का बिल…आपके सामने खामोश पहाड़ की तरह डटा रहता है..हो सकता है,आज मेरे वार्ड में भर्ती मुसीबतजदा इस शख्स को शायद इस मुसीबत का पहले से ही अंदेशा हो चलाथा… इसलिए कल रात से ही इसकी तैयारी में उनके द्वारा अपने परिजनों को फोन लगातार,खटखटाए जाते रहे..साथ ही में पर वो मरीज.. अपने घर वालों को बार-बार दिलासा दिला रहे थे कि आएंगे..आएंगे..मेरे शैलेष पांडे आएंगे..मुझ को अस्पताल से घर ले जाएंगे.. लेकिन ऐन वक्त पर बिलासपुर बंद, भारत बंद, और इसके कारण शहर विधायक शैलेश पांडे का फोन बंद, उनके साथ समर्थकों के सबके फोन बंद… उस मरीज ने इधर-उधर से कुछ इंतजाम किया और फिर भी वो पूरे नहीं हुए.. और ऊपर से अपोलो के सिक्योरिटी वाले लग गये..बार-बार तगादा ड्यूटी पर.. और जैसा कि मुझे अंदेशा था…वही हुआ.. शाम तक उस मरीज के पास न पैसे पहुंचे और ना शहर विधायक शैलेष पाण्डे का कोई कबूतर पहुंचा और ना कोई संदेश…

और इस वक्त रात के 8 बजे हालत यह है कि डिस्चार्ज का आदेश जारी होने के बाद उस मरीज के लिए अस्पताल में भोजन नहीं है..और मरीज के पास इतने पैसे नहीं है कि वह खुद का डिस्चार्ज करवाकर,घर जाकर अपने और साथ में अटेंडर के रूप में मौजूद अपनी पत्नी के पेट की आग को शांत करा सके

अब जरा फ्लैशबैक की बात करें

(अस्पताल भी वही विधायक भी वही.. इंतजार भी वही और नजारा भी वही)

शहर विधायक का एक और समर्थक 1 साल पहले इसी अस्पताल में..इसी हाल में मिला था मुझे

आपको बता दूं…आज मेरे वार्ड में दिखा इस मुसीबतजदा मरीज का दुख भरा नजारा…मुझे फ्लैशबैक में 1 साल पहले ले लगा.. उस दिन भी एक ऐसा ही मरीज, इसी अपोलो अस्पताल की एक वार्ड में.. बिलासपुर के नये नये चुने गये विधायक..शैलेश पांडे के नाम की माला जप रहा था.. आएंगे आएंगे शैलेश पांडे आएंगे मुझको अपोलो से घर ले जाएंगे..उस मरीज को तो शैलेश पांडे ने अपोलो अस्पताल में बकायदा फोन कर भर्ती कराया था… उसके बाद से…उस समय भी उनका फोन, उनके समर्थकों का फोन आज की तरह ही पहले नो रिप्लाई आना शुरू हुआ तो आखिर में जाकर बंद हो गया..

डरता हूं कि बिलासपुर शहर के अपोलो अस्पताल और इस जैसे शहर के और दूसरे अस्पतालों में शहर विधायक की माला जपने वाले बस यही एक दो शख्स हों.. उम्मीद करता हूं कि इन नाउम्मीद मरीजों की संख्या इससे तो‌ अधिक नहीं ही होगी.. अगर ऐसा हुआ तो वह मरीज तो किसी तरह ले- देकर अपना डिस्चार्ज टिकट जमा कर सकुशल घरों को लौट जाएंगे…लेकिन तब फिर उनका क्या होगा..? जिन के इंतजार में न जाने ऐसे कितने मरीज और शहर के तमाम समस्या ग्रस्त दुखीयारे लोग, आज अलग-अलग अस्पतालों में मोहल्लों में और शहर के गलियारों में मायूस हो रहे होंगे..!