0 इस बार 2 लाख 15 हजार 168 हेक्टेयर में लगी है। धान खरीदी में देरी होने से ज्यादा सुख जाता हैं धान किसानों को हर साल होता हैं नुकसान

बिलासपुर। जिले में इस बार 2 लाख 15 हजार 168 हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। अब खेतों में धान की फसल पक रही है और कुछ इलाकों में कटाई भी शुरू हो गई है। लेकिन अभी तक खरीदी की तारिखो का एलान नहीं हुआ है। खरीदी में जितना देरी होगा किसानों को उतना ही नुकासान होगा। खेतों में इन दिनों किसानों के उम्मीद की फसल खड़ी है। इस बार अच्छी मानसून ने किसानों की जिदगी को खुशियों से भर दिया है। कोरोना संक्रमण के बीच आर्थिक रूप से परेशान हुए किसान ख्ोतो में खड़ी अपनी मेहनत के सोने को देख बड़ी राहत भरी सांस ले रहें है। अब किसानों को धान खरीदी शुरु होने का इंतिजार है। जिले में कुछ तो इसकी कटाई भी शुरु कर दिए है। तो वहीं कुछ किसान धान की कटाई जल्द ही शुरु करेंगे। अविभाजित बिलासपुर जिले में 2 लाख 15 हजार 168 हेक्टेयर में धान की खेती हो रही है। पिछले साल 1 लाख 1662 किसानों ने 48 लाख 28 हजार 29 क्विंटल धान 12०० करोड़è से अधिक का धान बेचा था। विपणन विभाग के अनुसार इस बार बिलासपुर व गौरेला-पेंड्रा- मरवाही जिले को मिलाकर 5० लाख क्विंटल से ज्यादा खरीदी का अनुमान है। 25०० रुपए प्रति क्विंटल की दर से यह 125० करोड़ रुपए धान है। समर्थन मूल्य में वृद्धि के बाद धान का उत्पादन बढ़ रहा है। 2०18-2०19 में 44 लाख 14 हजार 282 क्विंटल धान 8० हजार से अधिक किसानों ने बेचा था लेकिन एक साल में ही 4 लाख 13 हजार 747 क्विंटल बिक्री बढ़ गई और किसानों की संख्या में 21662 की वृद्धि हुई।

हर वर्ष किसानों के साथ खरीदी का दर बढ़ रहा
2०19 में 1 लाख 1662 किसानों का पंजीयन
48 लाख 28 हजार 29 क्विंटल धान की खरीदी
12०7 करोड़è से अधिक का धान बेचा
इस वर्ष5० लाख क्विंटल से ज्यादा खरीदी का अनुमान
25०० रुपए प्रति क्विंटल की दर से यह 125० करोड़ रुपए इस वर्ष तैयार
देर से खरीदी शुरू हुई तो किसानों को नुकसान
शासन ने पिछले साल 15 नवंबर को धान खरीदी की शुरुआत हुई थी। इससे पहले के साल में 1 नवंबर से धान खरीदा गया था। लेकिन इस बार जिस तरह से धीमी गति से तैयारियां चल रही है और बारदानों का इंतजाम खाद्य विभाग नहीं कर पा रहा है, उससे तो खरीदी देर से शुरु होने का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन शासन धान खरीदी में जितनी देरी करेगी किसानों को उतना ही नुकसान का सामना करना पड़ेगा। क्योकि ख्ोत से खलिहान और खरीदी केंद्र तक पहंुचते-पहंुचते धान की सुखत बढ़ जाती है। और नमी कम होती है। जिसके चलते उसके वजन में कमी आती है। ऐसे में उन्हें प्रति एकड़ 3 से 4 क्वीटंल का नुकासान होता है। इस लिए जिले के किसान जल्द धान खरीदी शुरु होने की आस में है।
टोकन और बारदाने का इस बार फिर जंजाल
जिले में इस बार फिर धान खरीदी के लिए टोकन पंजीयन और अन्य तरह के झमेले का सामना किसानो को सहना पड़ेगा। खाद्य विभाग को पीडीएस के तहत 17 लाख बारदाने एकत्रित करने के टारगेट मिले है। लेकिन अब तक 7 लाख बारदाने का भी इंतजाम नहीं किया गया है। कोरोना के कारण कोलकत्ता सहित अन्य जूट उद्योग में प्रभाव पड़ा है मजूदरों के नहीं होन और उद्योग बंद होने के ज्यादा बारदाने तैयार नहीं हुए है। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों में भी जूट उद्योग से बारदाना सप्लाई होती जिसके कारण खरीदी में समस्या आएगी वहीं पूराने बारदाने भी नहीं है। ऐसे में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी किसानों को बारदाने के लिए भटकना, आंदोलन करना और इंतिजार करना पडेगा।
कोरोना के कारण खेती का खर्च बढ़ा
कोरोना के कारण इस बार हारवेस्टर भी कम मिल रहें है। हरियाण और पंजाब से धान काटने के लिए हारवेस्टर नहीं आने से इस बार लोकल मशीन रखने वालो ने दाम बढ़ा दिए है। घुरु अमेरी के किसान और कृषि उपकरण रखने वाले रोहित प्रजापति ने बताया पिछले साल हारवेस्टर के दाम प्रति एकड़ 18०० रुपए थ्ो इस वर्ष 22०० से 25०० तक पहंुचे का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं ट्रेक्टर में धान काटने के लिए रेपर मशीन के दाम 12०० रुपए प्रति एकड़ है। हाथ से कटाई गजाई का बनिहार द्बारा 3 हजार से 35०० रुपए प्रति एकड़ लिया जा रहा है। जबकि मिशाई के लिए थ्रेसर मशीन के उपयोग में प्रति एकड़ 9०० रुपए का दाम चल रहा है। मानसून बढ़िया होने के कारण इस बार ख्ोत सूख्ो नहीं है। तो धान काटने वाले मशीन ख्ोत में घुस नहीं रहें है। जिसके चलते किसान बनिहार के द्बारा ही धान की कटाई करा रहें है। ऐसे में उन्हें पिछेले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष किसानो को धान की ख्ोती कटाई से लेकर मिशाई तक प्रति एकड़ा 3 से 4 हजार रुपए अधिक खर्च करना पड़ रहा है।