आयात पर निर्भरता खत्म करने राष्ट्रीय पाम तेल मिशन योजना शुरू

बिलासपुर। दीर्घ काल के मौन के बाद पॉम ऑयल मुखर होने लगा है क्योंकि सहयोगी खाद्य तेलों की कीमत क्रय शक्ति से बाहर जा चुकी है इसलिए मांग का दबाव, पॉम ऑयल पर लगातार बढ़ रहा है। हाल ऐसे ही बने रहे, तो तेजी और आगे बढ़ सकती है।

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बाद खाद्य सामग्रियों की कीमत बढ़त लेने लगी है। जंग का पहला असर खाद्य तेलों की कीमत में देखा जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन बढ़त आ रही है। खास तौर पर यह तेजी सनफ्लॉवर और सोयाबीन सहित ऐसे खाद्य तेलों में ज्यादा आ रही है, जिसका आयात बाहर के मुल्कों से होता है। कीमतों में इजाफा के बाद उपभोक्ता मांग, पॉम ऑयल में निकलती नजर आ रही है, जिसकी खरीदी फिलहाल क्रय शक्ति के भीतर ही है।

इसलिए डिमांड

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से खाद्य तेल का आयात पूरी तरह बंद हो चुका है। इससे घरेलू बाजार में कीमत बढ़ रही है। यह इतनी ऊंचाई पर चल रही है कि उपभोक्ता मांग का दबाव, अब पॉम ऑयल पर बनने लगा है। आयात इसका भी होता है लेकिन उत्पादन लागत में कमी की वजह से यह अभी 2150 रुपए टीन की कीमत पर उपलब्ध है। 250 रुपए की गर्मी के बाद भी यह क्रय शक्ति के भीतर ही है।

आयात यहां से

घरेलू खाद्य तेल बाजार में 30 प्रतिशत की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी निभाने वाला पॉम ऑयल का आयात ब्राज़ील और अर्जेंटीना से हो रहा है लेकिन इसमें भी कुछ रुकावट देखी जा रही है। इधर उपलब्ध खाद्य तेलों की कीमत बढ़ने से शादी-ब्याह, पर्व और त्यौहार की खरीदी इसमें ही चालू होने के संकेत हैं। ऐसी स्थितियों में कीमत तेज हो रही है।

निर्भरता खत्म करने यह प्रयास

पाम ऑयल का चलन विस्तार लेता देख केन्द्र सरकार ने आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए राष्ट्रीय पॉम ऑयल मिशन योजना चालू की हुई है। देश के केरल, गुजरात, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा, मिजोरम, नागालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश में पाम ट्री के नए जंगल तैयार करने की योजना बनाई है। इसके तहत किसानों को अनुदान पर पाम के पौधे दिए जाएंगे। जिसकी मदद से नए वृक्ष तैयार किए जा सकेंगे। इसके अलावा पाम ट्री के ऐसे बागान को फिर से पुनर्जीवित किया जाएगा जो बंद हो चुके हैं। मानना है कि इस प्रयास के मूर्त रूप में आने के बाद पॉम ऑयल के लिए आयात पर निर्भरता को पूरी तरह खत्म करने में मदद मिलेगी।