• 35 साल के राजू, लाली और अब उसके बच्चे सावन को भी दी जा रही ट्रेनिंग

बिलासपुर। जंगल में वन्यप्राणियों पर किसी तरह का खतरा होते ही वन विभाग के अधिकारियों की जुबान पर सिर्फ एक ही नाम आता है, राजू… ये हाथी अचानकमार के हर बीट और रास्तों से वाकिफ है, जो घायल वनप्राणियों को खोजने और शिकारियों का पता लगाने में एक्सपर्ट है। इसके साथ ही मादा हथिनी लाली और उनके दो साल का बच्चा सावन भी अब इस काम को कर रहा है। एटीआर के राजू हाथी अब तक दर्जनों घायल वनप्राणियों की जान बचा चुका है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व के सिहावल सागर में तीन हाथी हैं। इनमें 42 वर्ष की मादा हथिनी लाली, 35 वर्ष का नर राजू और इन दोनों का बेटा 2 साल के सावन को वन विभाग जंगलों की सुरक्षा और जांच के लिए उपयोग लाता है। राजू और लाली रोज जंगलों के भीतर 2० किलोमीटर घूम-घूमकर जांच करते हैं कि कहीं जंगल में किसी तरह के वन्यप्राणियों का शिकार तो नहीं हुआ। कोई घायल तो नहीं है। यहां तक कि अब तक ये दर्जनों घायल वन्यप्राणियों के रेस्क्यू करने में भी साथ दे चुके हैं। बिलासपुर सहित आसपास के क्षेत्र में जब भी कोई शेर, तेंदूआ या जंगली जानवर का आतंक होता है तो इन्हीं हाथियों की मदद ली जाती है और जंगली जानवर को पकड़ा जाता है। पिछले दिनों जब अचानकमार के जंगलो में एक घायल बाघिन को देखा गया तो राजू हाथी की मदद से ही उसे ट्रेक किया गया, जिसके बाद एक्सपर्ट ने इसी राजू हाथी की पीठ पर बैठकर घायल बाघिन को ट्रेनक्यूलाइज किया गया और उसे इलाज के लिए कानन पेंडारी भेजा गया। इसी तरह कई रेस्क्यू ऑपरेशन में इन हाथियों की मदद ली गई।

रेस्क्यू करने अन्य जिलों में भी भेजे जाते हैं एटीआर के हाथी
2०19 में जब छत्तीसगढ़ के तीन जिलों में बाघ दिखाई दिए तो बाघ की तलाश में अचानकमार के स्निफर डाग नेरो व शिम्बा और हाथी राजू को मदद के लिए बुलाया गया था। बालोद जिले के लाटाबोड़ में बाघ की तलाश की गई। दुर्ग, टेकापार मार्ग में बाघ ने गाय को शिकार बनाया, जहां गाय का शव मिला। वहां आसपास के 1० किमी क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन चला। बिलासपुर, दुर्ग और बालोद वन विभाग के 5० अधिकारी-कर्मचारियों की टीम के साथ राजू हाथी भी रेस्क्यू करने में लगा था। ऐसे कई मामलों में राजू हाथी ने टीम के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन में साथ दिया। आज भी संभागभर में यदि कहीं बाघ, तेंदुआ या जंगली जानवर घुस जाता है तो एटीआर के राजू हाथी की मदद रेस्क्यू के लिए ली जाती है।
नन्हें सावन को ले जाते हैं जंगल
अचानकमार में पैदा हुए दो साल के नन्हें हाथी सावन को भी अब ट्रेनिंग दी जा रही है। अपने माता-पिता की तरह ये भी काफी होशियार है। रोजाना इसे जंगल में पेट्रोलिंग के लिए लेकर जाया जाता है, जहां इसे घायल वन्यप्राणियों को किस तरह खोजना है। इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है। जंगलों के रास्तों में कैसे चलना है और खतरों को किस तरह भांपा जाता है, उससे कैसे निपटना है। इन सब की ट्रेनिंग सावन को दी जा रही है, ताकि भविष्य में ये भी अपने पिता की तरह वन विभाग की टीम में शामिल होकर रेस्क्यू ऑपरेशन में साथ दे सके।