बिलासपुर।  निर्माण क्षेत्र की लापरवाही पर लगाम। सब्जी बाड़ियों की जरूरत और नर्सरियों की मांग। 50 फीसदी बढ़त  की ओर है ग्रीन नेट। 75 से 80 प्रतिशत जा सकती है डिमांड क्योंकि कीमत बीते साल की दर पर स्थिर है।

छत्तीसगढ़ में भी बनने लगा है ग्रीन नेट। आसान हुई है त्वरित उपलब्धता। इसके बावजूद निर्माण क्षेत्र ग्रीन नेट की अनिवार्यता स्वीकार नहीं कर रहा है। इसे देखते हुए प्रशासन सख्त हो चला है जबकि सब्जी बाड़ियां और नर्सरियां बीते साल जितनी ही मात्रा में खरीदी कर रहीं हैं ग्रीन नेट की। घरेलू जरुरतें भी निकली हुई है। ऐसे में ग्रीन नेट की मांग दोगुनी होने के आसार है।

लापरवाही पर लगाम से बढ़ी डिमांड

निजी और शासकीय क्षेत्र में खूब बन रहीं हैं इमारतें लेकिन यह दोनों ग्रीन नेट की अनिवार्यता स्वीकार नहीं कर रहे हैं। सख्त चेतावनी और भारी अर्थदंड जैसे प्रावधान के बाद यह दोनों अब ग्रीन नेट की खरीदी करने लगे हैं। इनकी डिमांड ने अरसे से शांत बाजार में हलचल मचा दी है। खरीदी की मात्रा दोगुनी होने की संभावना इसलिए है क्योंकि बारिश के पूर्व निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।

सदाबहार यह दोनों

सब्जी बाड़ियां और नर्सरियां। ग्रीन नेट मार्केट के भरोसेमंद साथी रहे हैं। यह इस बार कुछ ज्यादा बढ़ा हुआ महसूस किया जा रहा है क्योंकि ग्रीष्म ऋतु के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए फसलों और पौधों की सुरक्षा के लिए बड़ी मात्रा में खरीदी निकली हुई है‌। मांग यहां इसलिए भी बढ़ सकती है क्योंकि सब्जी फसलों का विस्तार ले चुका रकबा और पौधारोपण का लक्ष्य बढ़ा हुआ है।

स्थिर है प्रति मीटर भाव

ग्रीन नेट बनाने वाली इकाइयों के बीच प्रतिस्पर्धा की वजह से इस बार भी बीते बरस की ही कीमत में मिल रहे हैं ग्रीन नेट। न्यूनतम 40 रुपए और अधिकतम 90 रुपए प्रति मीटर की दर पर जैसी खरीदी निकली हुई है, उससे बाजार में 50 फ़ीसदी बढ़त की संभावना प्रबल है।

उत्साह बढ़ा रही है डिमांड

सब्जी बाड़ियां, नर्सरियों और निर्माण क्षेत्र की डिमांड ग्रीन नेट में जोरदार है। यह स्थिति बारिश तक बने रहने की संभावना है।
– मोहन बजाज, बजाज रोप सेंटर, बिलासपुर