सेमल के फूलों से बनाएं शरबत और अचार
बिलासपुर। फूलों से सब्जी, अचार और शरबत। छाल और जड़ से काढ़ा, जो दूर करता है पाचन विकार। कीमती हैं लकड़ियां क्योंकि इससे बनाया जा रहा है कागज और माचिस। पर्यावरणीय लाभ यह होता है कि सेमल का वृक्ष मिट्टी का क्षरण और जल संरक्षण में मददगार बनता है।
ऋतुओं का राजा वसंत ऋतु। खूब फूल रहे हैं सेमल के फूल। लाल, नारंगी रंगत वाले सेमल के फूल ही नहीं छाल, जड़ और लकड़ियों का महत्व इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि बहुपयोगी हैं यह सभी। इसलिए वानिकी वैज्ञानिकों ने इसके रोपण की सलाह किसानों को दी है क्योंकि यह वृक्ष मिट्टी क्षरण रोकता है और जल धारण क्षमता बढ़ाता है।

कहते हैं प्राकृतिक रत्न
भारतीय संस्कृति और लोक कथाओं में गहरे तक समाया सेमल का फूल, पत्तियों और छाल व जड़ में महत्वपूर्ण औषधिय तत्वों के लिए जाना जाता है। किसानों के लिए बेहद अहम इसलिए माना गया है क्योंकि इसकी जड़ें मिट्टी क्षरण को रोकती हैं और भूमि की जल धारण क्षमता को बढ़ाती है। लकड़ियाँ, ईंधन ही नहीं कागज और माचिस बनाने के लिए भी उपयोग की जा रहीं हैं। इन्हीं गुणों की वजह से सेमल को प्राकृतिक रत्न कहा जाता है।

शरबत, सब्जी और अचार
सेमल के फूलों से बने शरबत के सेवन से शरीर के तापमान को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है। सब्जी और अचार को पेट विकार को दूर करने में मददगार माना गया है। गोंद से त्वचा विकार जैसी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। यही वजह है कि फूल और गोंद की खरीदी औषधिय निर्माण ईकाइयां ऊंची कीमत पर कर रहीं हैं। दिलचस्प यह कि सेमल की इन सामग्रियों की खरीदी अब सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली इकाइयां भी करने लगीं हैं।

यह पर्यावरणीय लाभ
सेमल के वृक्ष किसानों के बीच इसलिए पसंद किए जाते हैं क्योंकि इसकी जड़ें मिट्टी क्षरण रोकती हैं और मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाती है। इससे खेतों में नमी लंबी अवधि तक बनी रहती है, जिसका लाभ भूमिगत जल स्रोत के स्थिर स्तर के रूप में देखा जा सकता है। बदलते जलवायु परिवर्तन के दौर में बेहद अहम है यह गुण। इसलिए किसानों को सेमल के पौध रोपण की सलाह वानिकी वैज्ञानिकों ने दी है।

सेमल – प्रकृति का अनमोल उपहार
सेमल का वृक्ष न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बहुपयोगी गुणों के कारण यह किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण वृक्ष साबित हो सकता है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ते पर्यावरणीय संकट को देखते हुए किसानों को सेमल के पौधों के रोपण को बढ़ावा देना चाहिए।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर