रासायनिक कीटनाशकों के प्राकृतिक विकल्प
बिलासपुर। सब्जी और फल की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत की खबर। अब तुलसी और नीम की पत्तियों से प्राकृतिक कीटनाशक तैयार किये जा सकेंगे। बेहद आसान विधि से बनाए गए इन दोनों कीटनाशकों में बड़ा गुण यह है कि यह, पौधे और वृक्ष की समग्र सेहत भी सुधारते हैं।
रबी हो या खरीफ। दोनों सत्र की फसल को बेतरह नुकसान पहुंचाते हैं तरह-तरह के शत्रु कीट। उपाय केवल एक ही है रासायनिक कीटनाशक का छिड़काव किया जाना, लेकिन बड़ी दिक्कत यह कि खरीदी पर बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है, तो तैयार होने वाली फसल की प्राकृतिक गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। अब नई खोज से इन दोनों समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकेगा।

इसलिए प्राकृतिक कीटनाशक
रासायनिक कीटनाशक प्रभावी रोक तो लगाते हैं लेकिन प्रतिकूल असर कृषि उत्पादन की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसके अलावा मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कमजोर होती है। इसलिए कृषि वैज्ञानिकों ने जो खोज की, उसमें तुलसी और नीम की पत्तियों को उपयुक्त पाया गया है। अब इन दोनों की मदद से सभी प्रकार की कीट व्याधि पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

ऐसे बनाएं तुलसी और नीम अर्क
50 ग्राम तुलसी की पत्तियां। रात में 3 लीटर पानी में भिगाएं। सुबह इन पत्तियों को पीस लें। जो अर्क निकलेगा, उसे 8 से 12 मिलीलीटर तरल साबुन के घोल में मिला दें। छिड़काव के लिए तैयार है तुलसी का अर्क। नीम अर्क के लिए 1 किलो हरी पत्तियों को पीसकर 12 घंटे के लिए छोड़ दें। इस समय अवधि के पश्चात निकलने वाला तरल द्रव्य को छानकर मानक मात्रा में तरल साबुन मिलाएं। तैयार है, प्राकृतिक कीटनाशक छिड़काव के लिए।

यह कीट काबू में
फल और सब्जी फसलें। लाल मक्खियां, लाल मकड़ी और चित्तीदार भृंग। आम हैं इनका हमला। शत्रु कीट की लगभग हर प्रजाति का आसान निशाना बनती हैं यह दोनों फसलें। तैयार फसल को नुकसान तो पहुंचाते ही हैं, साथ ही मित्र कीट को भी खत्म करते हैं, ऐसे शत्रु कीट। नई विधि से तैयार तुलसी और नीम की पत्तियों के कीटनाशक से इन सभी शत्रु कीट पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी।

पर्यावरण हितैषी तुलसी एवं नीम
यह रासायनिक कीटनाशकों का एक प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल विकल्प है। यह लाभकारी कीटो और परागणकों के लिए सुरक्षित है। तुलसी- नीम आधारित कीटनाशकों में एंटीफंगल और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। यह पौधों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर