खंडा, बढ़ा रहा हिस्सेदारी



बिलासपुर। कीमत भले ही ठहरी हुई हो लेकिन ढीला है चावल का बाजार। उठाव की संभावना चालू माह के अंत में ही बनती नजर आ रही है। दिलचस्प बात यह है कि पहली बार खंडा की हिस्सेदारी बराबरी पर पहुंच चुकी है। यह इसलिए क्योंकि इसकी खरीदी पर आधे पैसे ही देने पड़ रहे हैं।

शांत चल रहा चावल, प्रतीक्षा कर रहा है, बेहतर मांग निकलने का। प्रतीक्षा उस समय की है, जब स्कूल खुलेंगे और खेती बाड़ी के दिन शुरू होंगे। यह इसलिए क्योंकि यह समय चावल में बेहतर मांग के माने जाते रहे हैं। शहरी मांग तो माह के अंत में  महज एक सप्ताह में पूरी हो जाती है लेकिन ग्रामीण मांग नई फसल के तैयार होने तक बनी रहती है।

हिस्सेदारी बढ़ा रहा खंडा

साबुत की तुलना में खंडा चावल की कीमत लगभग आधी ही है। इसलिए अब इसमें मध्य आय वर्ग का उपभोक्ता भी खरीदी को लेकर रुझान दिखा रहा है। ऐसे में चावल की कुल मांग का लगभग 50 फ़ीसदी हिस्सा इसने अपने नाम कर लिया है। इसकी वजह से भी चावल की मांग ढीली है।

आ रहे पैक में

बढ़ती मांग को देखते हुए चावल इकाइयां अब छोटे पैक में भी खंडा चावल की उपलब्धता तय करवाने लगीं हैं। कीमत का आधा होना, बढ़ते बाजार की बड़ी वजह मानी जा रही है। इस बीच सबसे ज्यादा मांग वाला एचएमटी का खंडा 35 से 40 रुपए किलो, सियाराम 38 से 44 रुपए और विष्णुभोग 43 से 45 रुपए किलो पर स्थिर है।

विष्णुभोग 75 रुपए किलो

मांग का दबाव भले ही खंडा में माना जा रहा हो लेकिन  चावल में विष्णुभोग 75 रुपए किलो की कीमत के साथ अभी भी शीर्ष पर है। उपभोक्ता रुझान एचएमटी में जरा कम ही है, इसके बावजूद यह 55 से 60 रुपए किलो पर मजबूत है। सियाराम में 65 रुपए किलो बोला जा रहा है। अलबत्ता सरना फ्रेश 32 रुपए किलो पर शांत है। कम ही बिकता है काली मूंछ लेकिन यह भी 55 से 60 रुपए किलो पर पहुंचा हुआ है।

इंतजार बेहतर दिन का

मार्च के अंतिम सप्ताह से  ढीला चल रहा चावल बाजार को इंतजार है, नया शिक्षा सत्र शुरू होने और खेती-बाड़ी के दिन चालू होने का क्योंकि यह समय चावल बाजार के लिए मांग के दिन माने जाते  रहे हैं। कीमत में और वृद्धि की संभावना नहीं है क्योंकि चालू भाव पहले से ही तेज माना जा रहा है।

By MIG