भाटापारा। ई-कैरियर और बाइक ठेला के साथ चल रहे मुकाबले में हाथ ठेला की पराजय तय हो चुकी है। इसलिए हाथ ठेला के गैरेज बंद होने लगे हैं। ऐसे में यह क्षेत्र कारोबार समेटने की तैयारी में है।

दीपावली याने हर तरह के कारोबार के दिन। कारोबार को गति देते रहें हैं हाथ ठेले। बहुत पुराना है हाथ ठेले का इतिहास लेकिन तकनीक के दौर में हाथ ठेला तेजी से हाशिए पर किया जा रहा है। यह तेजी इतनी है कि हाथ ठेला गैरेजों के सामने दो वक्त की रोटी के लाले पड़ने लगे हैं। लिहाजा यह काम छोड़ने की योजना है।

नियम विरुद्ध फिर भी…

बाइक ठेला। नियम के विरुद्ध है मोटरसाइकिल का उपयोग माल परिवहन के लिए लेकिन खूब चल रहे हैं। हाथ ठेला गैरेज संचालक रोष जताते हुए कहते हैं कि आखिर संबंधित विभाग ने मौन क्यों साध रखा है ? दोष ना दिखाई देता, ना सुनाई, ना शिकायतों की सुनवाई होती। इसलिए थक हारकर गैरेजों ने काम समेटने की तैयारी कर ली है।

मुकाबला बेहद कड़ा

अब ई-कैरियर आने लगे हैं। वित्तीय सहायता ने ना केवल चलन बढ़ा दिया है, बल्कि हाथ ठेला चलाने वाले हमालों की संख्या भी कम कर दी है। ले-देकर थोड़ा बहुत काम, फल और सब्जी बेचने वालों की वजह से चल रहा है लेकिन इनकी भी संख्या घटते क्रम पर है। ऐसे में प्रतिकूल स्थितियों का सामना करने की हिम्मत नहीं बची।

करेंगे बंद, लेकिन…

लगभग पराजित हो चुके हाथ ठेला गैरेज संचालकों के सामने नई मुसीबत यह है कि जिन ठेलों की खरीदी 12000 से 15000 रुपए में की गई थी, उनके खरीददार अब नहीं है। पूछ-परख तो हो रही है लेकिन कीमत 1500 से 2500 रुपए से आगे बढ़ नहीं रही है। ऐसे में किस से मदद मांगे ? सवाल के जवाब नहीं मिल रहे।

By MIG