भारतीय लोकतंत्र और
बहुलतावाद की दो आवाज़ें
सुदीप ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार भारतीय लोकतंत्र आज कुछ विपन्न हुआ है, क्योंकि एक रात के अंतर में उसके दो बड़े…