बिलासपुर। निर्माण क्षेत्र के बाद अब निर्माण सामग्री के परिवहन में भी सख्ती। कोयला और भूंसा भर कर चल रही भारी वाहनों पर कड़ी नजर। 75 फ़ीसदी ग्रोथ ले चुका है ग्रीन नेट का बाजार। हर क्रय शक्ति के भीतर पहुंच वाली यह सामग्री इसलिए भी डिमांड में है क्योंकि अपने छत्तीसगढ़ में भी निर्माण ईकाइयां ग्रीन नेट का उत्पादन करने लगीं हैं।
केंद्रीय पर्यावरण एवं प्रदूषण निवारण मंत्रालय की सख्ती और कड़ी नजर ने ग्रीन नेट का बाजार बढ़ा दिया है। अब रेत, कोयला, मिट्टी, गिट्टी, राख और धान भूंसा के साथ ईंट भट्ठे व परिवहन करने वाले भी ग्रीन नेट की खरीदी कर रहे हैं। बढ़ते बाजार को स्थिर कीमत ने नई उड़ान दी हुई है। यह स्थिति मजबूत रहने की धारणा इसलिए भी है क्योंकि शासकीय योजनाओं के तहत बन रहे आवासों के लिए जरूरी सामग्रियों के परिवहन का दायरा बढ़ता जा रहा है।

इनके लिए अनिवार्य
राख, कोयला, रेत, गिट्टी, ईंट, सीमेंट, मिट्टी और भूंसा परिवहन के दौरान सेफ्टी नेट का होना अनिवार्य किया जा चुका है। इसके अलावा ईंट भट्ठों में भी यह अनिवार्यता समान रूप से प्रभावी की जा चुकी है। अनिवार्यता और सख्ती के बाद ग्रीन नेट की खरीदी बीते साल की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा देखी जा रही है। दोगुना की संभावना इसलिए बन रही है क्योंकि स्वीकार्यता का क्षेत्र बढ़त की ओर है।
योजनाओं ने दी नई उड़ान
प्रधानमंत्री आवास योजना। गांवों में बन रहे पक्के आवासों की वजह से निर्माण सामग्री के परिवहन का कामकाज बढ़ा हुआ है। ऐसे में अब तक सब्जी बाड़ियों तक सीमित रहे ग्रीन नेट को नई उड़ान का भरपूर मौका दिया है। इसके अलावा छाया के लिए परंपरागत मांग क्षेत्र अलग से खरीदी कर रहा है। बढ़त की संभावना को बल इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि सूर्य चमक की अवधि बढ़ी हुई है।

क्रय शक्ति के भीतर
अब राजधानी में भी ग्रीन नेट बनाने वाली इकाईयां अस्तित्व में आ गईं हैं। प्रतिस्पर्धी खरीदी के दौर का लाभ उपभोक्ताओं को मिला हुआ है। इसलिए 60 से 90 रुपए प्रति 10 फीट वाला नेट तथा आवश्यकतानुसार आकार के नेट हर क्रय शक्ति वर्ग वाले उपभोक्ताओं तक उपलब्ध हो रहे हैं। स्थिर कीमत के बीच ग्रीन नेट का बाजार इस बार पूरे साल बने रहने की धारणा है।