इसलिए सड़क पर घुमंतू मवेशी

भाटापारा।  कहां है स्ट्रीट एनिमल होल्डिंग सेंटर ? क्यों बंद कर दिया गया कांजी हाऊस ? शहर यह सवाल इसलिए कर रहा है क्योंकि सुगम आवाजाही वाले मार्ग घुमंतू मवेशियों के हवाले किए जा चुके हैं।

स्ट्रीट एनिमल के लिए योजनाएं खूब हैं। प्रभावी भी है लेकिन अमल को लेकर स्थानीय प्रशासन ने जैसी बेरुखी अपनाई हुई है, उससे स्ट्रीट एनिमल सड़क पर विचरण और आश्रय के लिए विवश हैं। झुंड में रहने वाले यह जंतु बेवजह की दुत्कार सह रहे हैं, तो शहर को परेशानी  इसलिए है क्योंकि इनमें होते झगड़े से यातायात प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा सड़क दुर्घटना की वजह भी बने हुए हैं।

ताले के हवाले

आवारा और घूमंतु मवेशियों के आश्रय के लिए स्ट्रीट एनिमल होल्डिंग सेंटर योजना लाई गई थी। शहर क्षेत्र में निगरानी और व्यवस्था का काम नगर सरकार को दिया गया था, तो ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत को जवाबदेह बनाया गया था। प्रति माह निश्चित राशि के आवंटन का भी प्रावधान था। लेकिन दोनों एजेंसियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। फलस्वरुप सड़क आश्रय स्थल और मूक जानवरों के प्रेमी, भूख प्यास बुझा रहे हैं।

कांजी हाऊस नहीं, शाॅपिंग कांम्पलेक्स

1990 तक अस्तित्व में था कांजी हाऊस लेकिन  व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ती देखकर स्थानीय प्रशासन ने मवेशियों के लिए अनुपयुक्त बताते हुए व्यावसायिक परिसर बनवा डाला। सामने के हिस्से में पांच दुकानें आकार में आईं, तो पीछे का भू-भाग वेल्डिंग केंद्र संचालक को दे दिया गया। ऐसे में यह घुमन्तू मवेशी सड़क पर आसरा खोज रहें हैं। स्थानीय प्रशासन दशहरा मैदान में कांजी हाऊस का होना बताता है लेकिन मौके पर नजर नहीं आती यह सुविधा।

शहर इसलिए परेशान

रेस्ट हाउस से फिल्टर प्लांट तिराहा। कांग्रेस भवन से लेकर राम सप्ताह का क्षेत्र और कृषि उपज  मंडी मार्ग तथा  बस स्टैंड चौक। यहां की सड़कों पर अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा नजर आते हैं घूमंतु मवेशी। यातायात का दबाव इन्हीं क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है लेकिन जहां-तहां सड़क पर उनकी मौजूदगी सुगम आवाजाही में अवरोध बन रही है, तो सड़क दुर्घटनाएं भी हो रहीं हैं। सवाल- क्या शहर सरकार देख रही है यह सब ?