स्वास्थ्य प्रशासन का मजाक
रसूख और लालच के खेल में पूरा सिस्टम है फेल
बिलासपुर। मरीजों के साथ गजब का मजाक कर रहा बिलासपुर जिले का स्वास्थ्य प्रशासन ! प्रथम श्रेणी संवर्ग के डॉक्टरों के उपर हुक्म बजाने का अधिकार सेकंड क्लास एमबीबीएस डॉक्टर को अधिकार दे रखा है। हुक्म उदूली हो रही, प्रभारी की कोई सुन नहीं रहे। ड्यूटी पर नहीं आ रहे। स्वास्थ्य विभाग के अफसर 14 दिन में तीन बार पहुंचे। तीनों दिन नदारद मिले सभी डॉक्टर। उन प्रथम श्रेणी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार तो कलेक्टर तक के पास नहीं है। उन्हें भी कार्रवाई के लिए अनुशंसा करनी होगी। उनका रसूख अलग से। ऐसे में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले भी तो कैसे! यहां तो जिम्मेदारों न की नियत पर ही तो उठ रहे सवाल।
बिलासपुर जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं का बेड़ा गर्क हो गया है। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर से लेकर सरकारी अस्पताल सब का है हाल बेहाल। ऐसा हम अपनी ओर से नहीं कह रहे। मीडिया में प्रसारित खबरों से ही खुलासे हो रहे। जिले के कलेक्टर द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने की जा रही कवायदों के नतीजे भी सकारात्मक परिणाम नहीं दे रहे। कलेक्टर ने जिले के सरकारी अस्पतालों की निगरानी की राजस्व अफसरों को दे रखी हैं। एसडीएम, तहसीलदार अपने इलाके के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, उप स्वास्थ्य केन्द्रों और वेलनेस केंद्रों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। जहां पहले से ही शासन से स्वीकृत सेट-अप के हिसाब से डॉक्टर और कर्मचारी नहीं है। जो है वो भी ड्यूटी से नदारद मिल रहे हैं। जमीन पर हालत कितने गंभीर है और कलेक्टर का इकबाल कैसा है इसकी तहरीर बुधवार को अखबारों में प्रकाशित रतनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की खबर दे रही। प्रकाशित खबर के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बीते 14 दिनों में तीन दिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया। इसमें तीनों दिन उच्च शिक्षा प्राप्त प्रथम श्रेणी के डॉक्टर नदारद मिले। खबर के मुताबिक सीएमएचओ डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने अबकी बार ड्यूटी से नदारद रतनपुर सीएचसी के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला साहा, डॉ. नेहल में झा, डॉ. अच्छेलाल कोर्राम, शिशु रोग विशेषज्ञ व निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. निधि कोर्राम का एक दिन का वेतन काटने के निर्देश दिया हैं। गौरतलब हो कि ड्यूटी से नदारद एक महिला डॉक्टर अब हाल ही में खुले एक निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं देने लगी है। ड्यूटी से नदारद इन प्रथम श्रेणी संवर्ग के डॉक्टरों में किसी का भी निवास मुख्यालय में नहीं है। वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर का प्रभार सेकंड क्लास एमबीबीएस डॉक्टर विजय चंदेल के पास है। शासन द्वारा तय प्रोटोकॉल से अस्पताल का अनुशासन कैसा है ये औचक निरीक्षण में मिले नतीजों से ही साबित हो रहा। अस्पताल में इतने काबिल डॉक्टरों और संसाधनों के होते हुए भी आपरेशन थियेटर को शुरू नहीं किया जा रहा। एक बार आपरेशन थियेटर शुरू हो गए और गरीब गर्भवती महिलाओं में प्रसव के लिए आपरेशन की सुविधा मिल गई तो मुख्यालय में रहना इन डॉक्टरों की मजबूरी हो जाएगी। रोजी रोटी के लिए जूझती गरीब जनता जीने के सिस्टम से लड़े कि दो रुपए कमा कर अपना पेट भरें। जिनको लड़ने के लिए चुना वो भी लालच और रसूख के आगे बेबस और लाचार है।
बीएमओ गुप्ता समेत सात मेडिकल ऑफिसर भी रहे गायब, नोटिस

बीते शनिवार को बिलासपुर संभाग कमिश्नर डॉ. महादेव कावरे कोटा ब्लॉक के मलेरिया और डायरिया प्रभावित इलाकों का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। इसी दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा का भी निरीक्षण किया। जहां बीएमओ निखिल गुप्ता सहित सात डॉक्टर ड्यूटी से नदारद मिले थे। नदारद मिले चिकित्सकों को नोटिस जारी किया गया है। बीएमओ डॉ. एन गुप्ता सहित चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए साय, डॉ. पी जोगी, डॉ. आर सैमुअल, डॉ ए झा, डॉ आर तिवारी और डॉ एस पुनिया को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं अधिकारी के माध्यम से नोटिस का जवाब देने कहा गया है। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 के विपरीत होने से छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत दण्डनीय कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। अब समझे कोटा ब्लॉक के गांवों में जहां इलाज नहीं मिलने से सात मौतें हो गई हो वहां के विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी ही अपने पूरे अमले के साथ संभाग कमिश्नर को नदारद मिले तो फिर ब्लॉक के दूरस्थ अंचल के गांवों के अस्पतालों की स्थिति समझी जा सकती है।