आसान विधि बताई कृषि वैज्ञानिकों ने
बिलासपुर। सिरदर्द नहीं बनेगी गाजर घास। खतरनाक नहीं रही जलकुंभी। मदद करेंगे किसानों की जैविक खाद के रूप में। चलन और रुझान को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने इन दोनों की सहायता से जैविक खाद बनाने की आसान विधि किसानों से साझा की है।

बारिश के दिनों में खूब दिखाई देती है गाजर घास। जल जमाव वाली जगह पर तेज फैलाव लेती है जलकुंभी। अब इनसे बनी जैविक खाद को भी बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है लेकिन बड़ी समस्या है इसकी कीमत का ज्यादा होना। अब यह दिक्कत भी दूर होने जा रही है क्योंकि नई तकनीक से किसान घर पर ही यह जैविक खाद बना सकेंगे।


ऐसे बनाएं जैविक खाद

नीम की पत्तियां, गेहूं का ठूंठ और भूसा। आवश्यक मात्रा में गोबर। मानक मात्रा में गाजर घास और जलकुंभी। मिश्रण तैयार करने के बाद अच्छी तरह सुखाना होगा। 20 फीट लंबी, 4 फीट चौड़ी और 3 फीट गहरी टंकी में यह सूखी सामग्री डालें। सतह पर 1 इंच मोटी तह बनानी होगी मिट्टी से। गोबर घोल का छिड़काव तब तक करें, जब तक टंकी पूरी तरह भर ना जाए। अंत में गोबर के घोल से पैक करें। पानी का छिड़काव आवश्यक इसलिए बताया जा रहा है ताकि नमी बनी रहे। 60 से 70 दिन बाद यह जैविक खाद के रूप में उपयोग की जा सकेगी।


यह लाभ

गाजर घास और जलकुंभी से बने जैविक खाद में फास्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन जैसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म तत्व मिले हैं। यह तीनों मिलकर पौधों की बढ़वार और समुचित विकास तय करते हैं। मिट्टी की बनावट बेहतर बनाते हैं। इससे मिट्टी में पानी और हवा ग्रहण क्षमता में वृद्धि होती है। अहम यह कि यह प्रक्रिया मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखती है। यह स्थिति सूखे दिनों में पानी की जरूरत को कम करती है।


जैविक खाद बनाकर नियंत्रण संभव

गाजर घास एक सर्वत्र पाया जाने वाला खरपतवार है तथा जलकुंभी भी एक खतरनाक जलीय पौधा है। यह दोनों पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। वर्तमान में कुछ ऐसी तकनीक उपलब्ध है जिसके माध्यम से गुणवत्ता युक्त खाद बनाकर इनका नियंत्रण किया जा सकता है।

डॉ. प्रमेंद्र कुमार केसरी, साइंटिस्ट (सॉइल साइंस), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन बिलासपुर