पौधरोपण की योजना में शीर्ष पर वृक्ष अनोखा नीम
बिलासपुर। 50 डिग्री सेल्सियस जैसे उच्च तापमान को भी सहन कर सकता है नीम। इसके अलावा तेज बढ़वार और गहरी जड़ प्रणाली जैसे गुण, इस बार पौधरोपण की बन रही कार्य योजना, नीम को अव्वल स्थान पर पहुंचाने जा रही है।
नीम महोगनी परिवार से संबंध रखता है। भारत,पाकिस्तान और बर्मा में इसकी उत्पत्ति हुई। गुणों की खान माना जाता है इसे। नए अनुसंधान में उच्च तापमान के प्रति सहनशीलता के खुलासे के बाद इस बार नर्सरियों में नीम के पौधे की मांग ने न केवल दस्तक दे दी है बल्कि उठाव भी चालू हो चुका है। ऐसे में कीमत बढ़ने के प्रबल आसार बनते नजर आने लगे हैं।

उच्च तापमान और सूखा रोधी
नीम में तापमान सहनशीलता 32 डिग्री सेल्सियस से 50 डिग्री सेल्सियस तक होती है। अच्छी पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी के अलावा, रेतीली भूमि पर भी यह आसानी से बढ़वार लेता है। यह 400 मिलीलीटर से लेकर 1200 मिलीलीटर तक की औसत वर्षा वाले क्षेत्र में भी तैयार होने की क्षमता रखता है। पर्याप्त भूजल वाले क्षेत्र में नीम अल्प वर्षा जैसी स्थिति में भी जिंदा रहता है।

तेज बढ़वार, एक साल में 13 फीट
बहुत तेजी से बढ़वार लेता है नीम का वृक्ष। पहले वर्ष में, अनुकूल परिस्थितियां मिलने पर यह 13 फीट तक की ऊंचाई हासिल कर लेता है। औसत ऊंचाई 50 से 66 फीट प्रमाणित हो चुकी है। दिलचस्प यह कि नीम की जड़ प्रणाली बेहद मजबूत होती है। गहराई तक जाने की वजह से नीम, मिट्टी की संरचना को उच्च स्तर की स्थिरता देता है। यही वजह है कि मिट्टी का कटाव वाले क्षेत्र में प्रमुखता से रोपण की सलाह दी जा रही है।

बेहद अहम यह गुण
पत्तियां, बीज, छाल और जड़। मानव ही नहीं, खाद्य फसलों को भी सुरक्षित रखता है। सूजनरोधी, त्वचा उपचार, मलेरिया और मधुमेह जैसे रोगों के लिए प्रभावी है, तो लीफ माईनर, थ्रीप्स, राउंडवर्म, स्टेम बोरर और कैटरपिलर जैसे घातक कीट से खाद्य फसलों को सुरक्षा प्रदान करता है। इसके साथ स्टेम ड्रिलर और मर्क्ड बोरर और दीमक जैसे कीट को नष्ट करने में यह सक्षम है।

प्रकृति का एयर कंडीशनर
तेज वृद्धि, गहरी जड़ प्रणाली और आदर्श कार्बन डाइऑक्साइड संतुलन इसे ‘एयर कंडीशनर’ के रूप में सबसे अच्छा विकल्प बनाते हैं। इसकी छाया में तापमान परिवेश के तापमान से 10 डिग्री कम होता है। स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा, पौध संरक्षण, कृषि, घरेलू देखभाल और सौंदर्य प्रसाधनों में इसके अनेक उपयोग है।
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर