चावल से आगे निकला ….

बिलासपुर। मांग नहीं है चावल में लेकिन जैसी खरीदी, कनकी और खंडा में हो रही है, उससे राहत की सांस रहा ले रहा है चावल का बाजार। नया बदलाव देखकर दुकानें अब एडवांस सौदे में इन दोनों की मात्रा बढ़ा रहीं हैं।

खरीदी की लागत से बाहर जा चुकी दलहन के बाद, अब बारी है चावल की ऐसी चुनिंदा किस्मों की जिनकी खरीदी पर ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में कनकी या खंडा चावल में हिस्सेदारी बढ़त लेती नजर आती है। यह इसलिए क्योंकि इस किस्म के चावल की कीमत काफी कम है।

इसलिए बढ़ रही मांग

महंगाई तो वजह है ही, इसके अलावा फास्ट फूड और स्ट्रीट फूड काउंटरों की मांग कनकी और खंडा में बढ़त की ओर है। आटा या मैदा की जगह, चावल आटा का बढ़ता उपयोग जिस मात्रा में किया जा रहा है, उससे भी कनकी और खंडा का बाजार तेजी से विस्तार ले रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि चावल और गेहूं की दर अभी भी क्रय शक्ति से बाहर चल रही है।

पहली बार पैक में

खुले में मिलने वाले यह दोनों सामग्री भी अब पैक में आने लगे हैं। उपभोक्ता राज्यों की मांग पर चावल उत्पादन इकाइयां, कनकी और खंडा के 25 से लेकर 40 किलो वजन की पैकिंग बना रही है। कीमत कम होने की वजह से बढ़ता बाजार देखकर अब यह दोनों भी ब्रांड से बिकने लगी है। इकाइयों और चावल बाजार के अनुसार यह बदलाव पहली बार देखा जा रहा है।

ऐसा है बाजार

शिखर पर है विष्णुभोग का बारीक खंडा। इसकी खरीदी 40 से 45 रुपए किलो पर की जा रही है। दूसरे नंबर पर एचएमटी है, जिसका खंडा 36 से 40 रुपए किलो पर उपलब्ध है। सियाराम का खंडा 40 रुपए किलो पर स्थिर है। चावल में मांग कमजोर होने के बावजूद तेजी बनी हुई है। विष्णुभोग चावल 65 से 67 रुपए किलो पर जमा हुआ है, तो एचएमटी 54 रुपए और सियाराम चावल की कीमत 58 रुपए किलो पर स्थिर है।

By MIG