संग्राहकों को दी जा रही जानकारी
बिलासपुर। निर्यात सौदा अनुकूल नहीं। इसलिए इस बरस बेर की खरीदी को लेकर अनिच्छुक हैं निर्यातक और होलसेल मार्केट। उत्साह नहीं होने के पीछे वह भंडारण भी है, जो बीते तीन साल से बेहतर भाव की आस में हैं।
बेर की फसल तो फिलहाल ठीक है लेकिन खरीदी को लेकर बाजार इस बरस रुचि नहीं दिखा रहा है। संभावना कम ही है कि खुलेगा बाजार और मिलेगी अच्छी कीमत। निर्यात के दम पर चलने वाली इस वनोपज को राजस्थान की खरीदी से भी बल मिलता था लेकिन स्थितियां जैसी बन रही हैं, उसे देखते हुए पिछला स्टाॅक क्लियर करने के प्रयास हैं, ताकि जाम पूंजी की वापसी सुनिश्चित की जा सके।

इसलिए खरीदी से अरुचि
छत्तीसगढ़ में संग्रहित बेर की सबसे ज्यादा उपभोक्ता मांग बंगला देश से निकलती है। बीते तीन साल से निर्यात सौदे इसलिए नहीं किए जा रहे क्योंकि कीमत अनुकूल नहीं है। डीजल की कीमत बढ़ने से वैसे भी परिवहन व्यय बढ़ा हुआ है। दूसरा बड़ा उपभोक्ता है राजस्थान, यहां से भी अपेक्षित मांग नहीं निकल रही है। ऐसे में प्रदेश के बेर निर्यातक, नई फसल की खरीदी को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।

पुराना भंडारण भी बड़ी वजह
2020 से लेकर 2023 की अवधि में खरीदा गया बेर, कोल्ड स्टोर में रखा हुआ है। बेहतर मांग और अच्छी कीमत की आस में भंडारित बेर की मात्रा अच्छी-खासी है। यदि नई फसल खरीदी गई, तो पुराने भंडारण का प्रबंधन और भी कठिन हो सकता है। इसलिए भी बाजार नई फसल की खरीदी करने से पीछे हट रहा है। प्रयास अब इस बात के हैं कि पुराना स्टॉक पहले क्लियर करें।

उत्पादन और भाव
खरीदी करने वाले प्रांतों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में मिलने वाला बेर, गुणवत्ता के मानक को पूरा करता है। अब तक मिल रही खबरों के अनुसार मार्च के अंत में तैयार होने वाली बेर की फसल इस बार उत्पादन का कीर्तिमान बना सकती है। अनुमान के अनुसार इस साल प्रदेश में लगभग 20000 बोरा बेर का उत्पादन हो सकता है। भाव 700 से 800 रुपए क्विंटल पर ठहरा हुआ है।
खटाई के रूप में उपयोग करने वाले बांग्लादेश से बेर का नया सौदा लाभदायक नहीं है। पिछला भंडारण भी जाम है। इसलिए बाजार शांत है।
- सुभाष अग्रवाल, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर